घर, जो कभी खुशी और प्यार से भरा था, अब सिर्फ उदासी और सन्नाटे का शिकार हो चुका था। रुद्र की लाश पड़ी हुई थी, और यह देखकर माया का दिल एक बार फिर टूट गया। उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे, लेकिन उसने अनन्या को सोफे पर सुला दिया और दौड़ते हुए रुद्र के पास गई।
"तुम मुझे छोड़कर नहीं जा सकते हो," माया ने जोर से चिल्लाकर कहा, लेकिन उसकी आवाज में घबराहट और निराशा थी। वह रोने लगी, उसकी आँखों में सारा दर्द साफ दिखाई दे रहा था। "किसने किया है ये सब?" वह खुद से सवाल कर रही थी, लेकिन किसी भी जवाब का कोई सुराग नहीं था। माया को उम्मीद थी कि उसके माता-पिता सुरक्षित होंगे, लेकिन जब वह कमरे में गई, तो उसके पैरों तले ज़मीन और भी खिसक गई। उसके माता-पिता की अंतिम सांसें चल रही थीं। उन्हें गले लगाकर माया ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी।
उसकी घबराहट और बढ़ गई। वह जल्दी से अनन्या के पास पहुंची, लेकिन अनन्या वहाँ से गायब हो चुकी थी। माया ने घबराकर पूरा घर छान मारा, लेकिन अनन्या का कहीं भी कोई सुराग नहीं मिला। वह सोफे के पास आई और माथे पर हाथ रखकर फूट-फूट कर रोने लगी। माया ने खुद को कसकर कोसा, लेकिन कोई हल नहीं था।
तभी, माया को महसूस हुआ जैसे कोई उसकी गर्दन को रस्सी से कस कर दबा रहा हो। उसने अपने हाथ से गले को छुआ, और महसूस किया कि सच में कोई उसके गले को कस रहा था। वह छुड़ाने की पूरी कोशिश करने लगी, लेकिन कुछ देर बाद माया की ताकत जवाब दे गई और उसका शरीर थक कर टूट गया।
माया ने अपना दम तोड़ दिया, और इस दुख भरे संसार से अलविदा ले लिया। उसकी मौत ने रुद्र और माया के बीच का प्यार और संबंध हमेशा के लिए खत्म कर दिया, लेकिन उनका प्यार एक अमिट याद बनकर बाकी रह गया। माया की आत्मा अब उस शांति की ओर बढ़ गई, जिसकी वह हमेशा से तलाश में थी।
यह कहानी अब खत्म हो गई थी, लेकिन उन प्यारे लम्हों और दुख भरे अंत ने सबके दिलों में एक गहरी छाप छोड़ दी थी।
फादर ने अपने आंखो को साफ करते हुए आगे कहा।
फादर की आवाज़ में गहरी संवेदना और चिंता थी। वह धीरे-धीरे अपनी कहानी को आगे बढ़ाते हुए बोले, "माया जब दुनिया को अलविदा कह चुकी थी, तो मुझे यह एहसास हुआ कि उसकी आत्मा को शांति देने के लिए कुछ करना जरूरी है। मैं उस समय उस रास्ते से गुजर रहा था, और मुझे एक छोटी सी जान मिली, जो शायद या तो किसी ने छोड़ दी थी, या फिर वह खुद किसी मुसीबत में फंसी हुई थी। मैंने उसे उठाया और चर्च ले आया, जहाँ उसे सुरक्षा और शांति मिल सके।"
फादर कुछ पल के लिए रुके और फिर बोले, "अगले दिन जब मैं उस रास्ते पर वापस गया, तो देखा कि उस बंगले में पुलिस थी, जहाँ माया और उसके परिवार की मृत्यु हुई थी। यह मामला 6 सालों तक चलता रहा, लेकिन किसी ठोस सबूत के बिना उसे बंद कर दिया गया।"
रितिका, जो चुपचाप सुन रही थी, अचानक बोल पड़ी, "वह छोटी सी जान, क्या वह अनन्या है?"
फादर ने सिर झुकाते हुए हल्की सी मुस्कान के साथ कहा, "हां, वह छोटी सी जान अनन्या ही थी। जब मैंने उसे चर्च लाकर रखा, तो मुझे पता चला कि वह उसी बंगले से गायब हो गई थी, और उसका नाम अनन्या था। यह जानकर मैं और भी परेशान हुआ।"
फादर की आँखों में एक गहरी कश्मकश दिख रही थी। वह अपनी कहानी में आगे कहते हैं, "उस समय मुझे लगा कि अनन्या को बचाना बहुत जरूरी था। मैंने उसे अपनी गोद में लिया और गले से लगा कर कहा, 'माफ करना, मैं तुम्हारा नाम बदल कर सोफिया रख रहा हूँ।' मुझे डर था कि जो खतरा पहले माया और उसके परिवार को हो सकता था, वह अब भी मौजूद हो सकता था। इसलिए उसे छुपने के लिए नाम बदलना जरूरी था, ताकि वह सुरक्षित रहे।"
फादर की आवाज़ में एक मजबूत ठान थी। "तब से लेकर आज तक, सोफिया मेरे पास है, और मैंने उसे अपनी बेटी की तरह अपनाया। उसे वह प्यार और सुरक्षा देने की पूरी कोशिश की, जो वह अपने माता-पिता से कभी नहीं पा सकी।"
फादर की बातें सुनकर रितिका की आँखों में आंसू थे, लेकिन वह समझ गई थी कि फादर ने अनन्या को एक नई पहचान और एक नई जिंदगी दी है, ताकि वह अपनी दर्दनाक अतीत से बाहर निकल सके और एक बेहतर भविष्य की ओर बढ़ सके।
रितिका ने खुद को संभालते हुए पूछा, "फादर, आपको ये सारी बात कैसे पता चली?"
फादर की आँखों में एक गहरी उदासी थी, और उनकी आवाज में एक दर्दनाक सच्चाई थी, जब उन्होंने कहा, "सुधीर मेरा ही बेटा है।" ये शब्द रीतिका के लिए किसी झटके से कम नहीं थे। वह चौंकी, जैसे उसकी दुनिया पलट गई हो। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि इस दर्दनाक कहानी से वो कहीं जुड़ी हुई थी। वह धीरे-धीरे समझने की कोशिश कर रही थी, लेकिन फिर भी मन में अनगिनत सवाल थे।
फादर की आँखों में एक गहरी शंका और अफसोस था। वह अपना सिर झुकाए हुए बोले, "जब माया दुनिया छोड़ कर चली गई, तो पता नहीं सुधीर भी कहीं चला गया। तब से आज तक, मुझे उसका कोई पता नहीं चला।" उनकी आवाज में गहरी तकलीफ थी, और आंखों में आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे।
रितिका को अब पूरा माजरा समझ में आ रहा था, लेकिन वह और भी ज्यादा हैरान थी। वह फिर से पूछा, "तो फादर, सुधीर की माँ?"
फादर ने बीच में ही कहा, "जब सुधीर घर छोड़ कर चला गया, तो सपना यह सहन नहीं कर पाई। वह बहुत बीमार हो गई, काफी इंतजार किया, लेकिन बीमारी के कारण उनकी मौत हो गई।" फादर की आवाज अब पूरी तरह से भर आई थी। उन्होंने आगे कहा, "काफी कोशिश की मैंने सुधीर का पता लगाने की, लेकिन उसका कोई निशान नहीं मिला। एक प्यार ने मेरे पूरे परिवार को तोड़ दिया, और अब एक परिवार...!" फादर की आवाज टूट गई, और उन्होंने फिर से अपनी आँखें झुका लीं।
रितिका को अब तक पूरी कहानी का एहसास हो चुका था, और उसकी आँखों में भी आंसू थे। उसने धीरे से कहा, "अपने आप को संभालिए, फादर..." सहानुभूति के साथ उसने फादर को दिलासा दिया।
फादर ने गहरी सांस ली और फिर रीतिका से कहा, "तुमने बहुत सही कहा, लेकिन मुझे और कुछ नहीं कहने की जरूरत है। अब मैं तुमसे एक बात कहना चाहता हूं, रीतिका। तुम एक अच्छी इंसान हो, और जो कुछ भी तुमने सुना, उस पर विश्वास रखना। अब तुम्हारा मन शांत रखना होगा।"
रितिका को अभी भी बहुत से सवाल थे, लेकिन उसने खुद से यह निर्णय लिया कि वह इन सवालों का जवाब खुद ढूंढेगी, और फिलहाल वह शांत हो गई। फादर ने उसे आराम करने के लिए कहा और फिर चुपचाप वहां से निकल गए।
रितिका की आँखों में अनगिनत सवाल थे, लेकिन वह उन सवालों को फिलहाल अपने दिल में दफन कर, शांत हो गई। फादर जानते थे कि रीतिका के मन में जो उलझनें थीं, उन्हें समय के साथ सुलझाना होगा। और वही समय रीतिका के लिए जवाब लाएगा।
रितिका की आँखों में डर की झलक थी, उसकी सांसें भारी हो रही थीं। अचानक उसने महसूस किया कि जैसे कुछ उसके आसपास है, लेकिन जब उसने चारों ओर देखा, तो सिर्फ सन्नाटा था। फिर अचानक वह गहरी सांस लेकर बिस्तर से गिरी और समझ गई कि यह सब सिर्फ एक सपना था। लेकिन यह सपना था या हकीकत, उसे समझ नहीं आ रहा था। सन्नाटा और अंधेरा था, जैसे कोई बहुत गहरी खामोशी छाई हो। खिड़की से बाहर की ओर रीतिका ने देखा, एक सिल्हूट घूम रहा था। उसका दिल जोर-जोर से धड़कने लगा, और बिना सोचे उसने अपने कदमों को आगे बढ़ाया। हाथ में पानी लिया, लेकिन उसे गले से नीचे उतारना मुश्किल हो रहा था। उसका मन घबराया हुआ था, सारे विचार उलझन में थे।
वह फोन की तलाश में थी, लेकिन उसे कहीं भी फोन नहीं मिला। कमरे से बाहर निकलते हुए, रितिका को ऐसा महसूस हुआ जैसे कोई उसका हाथ पकड़े हुए है। डर से उसकी नज़रें चारों ओर घूम रही थीं, लेकिन फिर भी वह किसी को नहीं देख पाई। तभी अचानक उसके हाथ को फिर से किसी ने पकड़ा। वह घबराकर मुड़ी, और जोर से चिल्लाई, "आ.... आ....!" लेकिन उसकी आवाज जैसे गले में ही घुट गई।
उसकी आँखों के सामने वह खौ़फनाक चेहरा था। बदसूरत, कटे-फटे निशान, खून से सनी आँखें, और सफेद, खौ़फनाक आँखें। रितिका की सांसें रुक गईं। उसकी आँखें लगभग बाहर निकलने को थीं। अचानक, उस खौ़फनाक चेहरे ने रितिका का मुंह बंद कर दिया और गुस्से से रितिका का गला पकड़ लिया। उसने चिल्लाते हुए कहा, "रीतिका , तेरे पापा को बुला! वरना मैं तेरे पूरे खानदान को मिटा दूंगी। समझी? तेरे परिवार की खून की नदियाँ बहा दूंगी!"
रितिका की आँखों में डर और घबराहट थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि यह कौन था और क्यों यह सब हो रहा था। तब फादर ने अपनी क्रॉस को उठाया और कुछ मंत्र बोलने शुरू किए। अचानक, उस भूतिया आत्मा गायब हो गई।
फादर हैरान थे, उन्होंने सर झुका लिया और सोचा, "यह आत्मा रितिका के पापा को क्यों बुला रही थी?" वह समझ नहीं पा रहे थे कि क्या रिश्ता है रितिका के परिवार और इस आत्मा के बीच। तभी रितिका की आँखों में कुछ और देखा गया। उसके गले में एक अजीब सा खिंचाव था, जैसे उसकी जान अब उसकी गर्दन तक आ चुकी हो। वह डरी हुई, सहमी हुई नज़र आ रही थी, जैसे मौत उसकी ओर बढ़ रही हो।
फादर की आँखों में संजीदगी थी, और उन्होंने रितिका से कहा, "तुम अपने पापा को चर्च में बुलाओ।" रितिका, अब तक अपने भय और शंका से घिरी हुई, ने अपनी आँखों में आंसू और डर के साथ सिर हिलाया। इसका मतलब साफ था कि रितिका ने यह निर्णय ले लिया था कि वह अपने पापा को बुलाएगी और इस रहस्यमय रहस्य का पर्दाफाश करेगी, जो एक खौ़फनाक सचाई से जुड़ा था।
यह निर्णय उसके जीवन का सबसे बड़ा कदम था, लेकिन वह जानती थी कि अब उसे सच का सामना करना होगा, चाहे वह कितना भी डरावना और खौ़फनाक क्यों न हो।
🔮 आखिर रीतिका के पापा का क्या रहस्य है, जो उस आत्मा को चैन से नहीं रहने दे रहा? क्या वो माया या सुधीर के अतीत से जुड़े हैं?
🕸️ क्या अनन्या यानी 'सोफिया' में किसी आत्मा का अंश अभी भी बाकी है, जो रीतिका से बदला लेना चाहती है?
✝️ क्या फादर अपनी आस्था और शक्तियों से इस खौ़फनाक आत्मा को रोक पाएंगे, या रीतिका के परिवार का अतीत एक और त्रासदी बनने वाला है?
आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए रांझन with सफ़र ........