अचानक, एक तेज़ चीख रीतिका के मुंह से निकल पड़ी, "अहह!"
और वह एकदम से जमीन पर गिर पड़ी। उसकी आँखें धुंधली हो रही थीं, और शरीर में एक ठंडक सी फैलने लगी थी। उसका दिल जोर-जोर से धड़क रहा था, जैसे वह किसी गहरे अंधेरे में फंसी हुई हो।
साहिल और माया की आत्मा दोनों दौड़कर रीतिका के पास पहुंचे। साहिल ने घबराकर रीतिका का सिर अपनी गोदी में लिया और कहा, "रीतिका, क्या हुआ? तुम ठीक हो?"
लेकिन रीतिका की आँखों में वह डर और उलझन साफ दिखाई दे रही थी। उसने मुश्किल से अपनी आँखें खोलीं और डरावनी आवाज में कहा, "यह आवाजें... यह सब... मेरे ऊपर भारी हो रहा है। मैं नहीं सहन कर पा रही हूँ।"
माया की आत्मा एक अजीब सी ठंडी हंसी हंसते हुए बोली, "यह आवाजें उस दुनिया से आ रही हैं, रीतिका। तुम्हारी अपनी आत्मा को यह सच सहने की ताकत नहीं है। तुम जिस रहस्य की खोज कर रही हो, वह तुम्हारी पूरी दुनिया को उलट सकता है।"
रीतिका ने आँखें बंद करते हुए खुद को संभालने की कोशिश की। उसकी मानसिक स्थिति बेहद नाजुक हो गई थी, लेकिन उसे यह भी समझ आ रहा था कि अगर वह माया के कातिल को उजागर करने में असफल रही, तो यह सब बेकार होगा।
"मैं डरती नहीं हूँ," रीतिका ने धीरे से कहा, "मैं जानती हूँ मुझे क्या करना है। मुझे उस सच तक पहुंचना है, चाहे कुछ भी हो।"
फिर भी, वह अपनी हालत को देखकर सोचने लगी कि क्या वह इस खौ़फनाक यात्रा के बाद माया के दर्द को सच में खत्म कर पाएगी या यह सब एक और भयानक रहस्य बनकर रह जाएगा।
रीतिका की आँखें धीरे-धीरे खुली, और उसने खुद को एक कमरे में पाया। कमरे की हल्की रोशनी में, साहिल बगल में बैठे हुए था। उसकी आँखें बंद थीं, जैसे वह गहरी सोच में खोया हो, या फिर बैठते-बैठते सो गया हो। उसकी चुप्प और शांत स्थिति के बीच, रीतिका ने उसकी ओर देखा, और उसकी आँखों में एक अद्भुत प्यार और विश्वास की झलक थी।
रीतिका का दिल धड़कने लगा, और उसने एक गहरी सांस ली। उसने जानबूझकर अपनी आँखें बंद कर लीं, जैसे वह अपने अंदर की उलझनों और डर से बचने के लिए एक पल और समय मांग रही हो। उसे महसूस हो रहा था कि कुछ ऐसा होने वाला है, जो उसकी पूरी दुनिया बदल सकता है। साहिल की मौजूदगी ने उसे थोड़ा आराम दिया था, लेकिन वह अंदर से परेशान थी—माया के रहस्यों का सामना करते हुए उसके मन में कई सवाल थे।
कुछ पल की खामोशी के बाद, साहिल ने धीरे से अपनी आँखें खोलीं। उसकी निगाहें रीतिका पर पड़ीं, और जैसे ही उसे यह महसूस हुआ कि रीतिका ने जानबूझकर आँखें बंद कर रखी हैं, उसकी चेहरे पर एक हल्की मुस्कान आई। वह चुपचाप रीतिका की ओर बढ़ा और धीरे से कहा, "तुम ठीक हो?"
रीतिका ने आँखें खोलीं और साहिल की तरफ देखा। उसकी आँखों में एक अनकहा सा दर्द था, लेकिन फिर भी उसने मुस्कुराने की कोशिश की, "हां, सब ठीक है। बस कुछ हल्का सा चक्कर आ गया था।"
साहिल ने उसे बिन कहे समझा, और एक पल के लिए कुछ नहीं बोला। उसकी आँखों में चिंता और देखभाल की झलक थी। रीतिका जानती थी कि साहिल की आँखों में बस वही प्यार था, जो उसे इस समय सबसे ज्यादा ज़रूरत थी।
लेकिन रीतिका के मन में माया का दर्द और उसके परिवार का सच उसे बार-बार खींचता था। वह जानती थी कि वह अपनी डर और उलझनों को दबाकर ही माया के रहस्यों का खुलासा कर सकती है। साहिल से मिली सहारा और प्यार ने उसे थोड़ी ताकत दी, लेकिन उसका दिल अभी भी भरे हुए सवालों और रहस्यों से घिरा हुआ था।
"साहिर, हमें माया का सच जानना होगा," रीतिका ने आखिरकार धीमे से कहा, उसकी आवाज में एक नये संकल्प की लहर थी। "मैं जानती हूँ कि इसके बिना हम आगे नहीं बढ़ सकते।"
साहिल ने सिर हिलाया, और उसकी आँखों में एक दृढ़ विश्वास था। "मैं तुम्हारे साथ हूँ, रीतिका। हम जो भी रास्ता चुनेंगे, एक साथ चुनेंगे।"
उसने रीतिका का हाथ gently पकड़ लिया, और दोनों ने फिर से एकजुट होकर उस अंधेरे सच को खोजने का फैसला किया, जो माया के पीछे छुपा था।
रीतिका की आँखों में दर्द और उलझन का गहरा सागर था। उसने साहिल और फादर के सामने वह सब कुछ बयां कर दिया, जो उसने देखा और महसूस किया था। माया की आत्मा, उसके परिवार की मौत, और सबसे बढ़कर वह धुंधला औरत का चेहरा, जो रीतिका के लिए पूरी दुनिया को उलट देने वाला था।
एक ठहरी हुई सांस लेते हुए रीतिका ने कहा, "अगर माया की कातिल मेरी माँ है, तो उसने ऐसा क्यों किया?" उसकी आवाज में एक गहरी शोक और सवाल था। यह सवाल उसके दिल में घर कर चुका था, और वह चाहती थी कि इस घने अंधेरे का कोई उजाला मिले।
साहिल और फादर दोनों चुप थे। इस बड़े रहस्य को जानना किसी के लिए भी आसान नहीं था, और रीतिका के लिए तो यह सच और भी कड़ा था। वह अपनी माँ को कभी इस नजरिए से नहीं देख सकती थी।
"क्या तुम सच में समझ पा रहे हो, साहिर?" रीतिका की आवाज काँप रही थी, "अगर मेरी माँ ने माया को और उसके परिवार को मारा, तो क्या वजह हो सकती थी? वो क्यों ऐसा करेगी?"
साहिल ने रीतिका का हाथ धीरे से पकड़ा और उसे तसल्ली देने की कोशिश की, "यह सच जानना तुम्हारे लिए बहुत मुश्किल है, रीतिका। लेकिन अगर तुम्हारी माँ ने ये किया, तो उसका कारण शायद किसी दर्दनाक घटना या पुरानी नाराजगी से जुड़ा हो सकता है।"
फादर ने गहरी सांस ली और रीतिका को शांत करने की कोशिश करते हुए कहा, "माया की आत्मा और उस समय की घटनाओं का हर पहलू हमें समझने की जरूरत है। अगर तुम्हारी माँ ने यह किया, तो हमें उस समय के सारे हालात को जानना होगा, ताकि यह पता चल सके कि उसने ऐसा क्यों किया।"
रीतिका ने आँखें बंद कीं और एक लंबी सांस ली। उसके मन में गहरी उलझन थी। उसकी माँ, जिसको उसने हमेशा प्यार किया था, क्या वह सच में ऐसी कोई चीज़ कर सकती थी? क्या उसके अंदर एक गहरे राज़ का बीज था, जो अब उभर रहा था?
"मुझे सच जानना है," रीतिका ने निश्चय के साथ कहा, "मुझे हर हाल में यह समझना होगा कि माया के साथ क्या हुआ, और मेरी माँ का इस सब में क्या हाथ था।"
साहिल ने सिर हिलाया, "हम सब साथ हैं, रीतिका। तुम अकेली नहीं हो। जो भी सच है, हम उसे सामने लाएंगे।"
अब रीतिका का मन और भी दृढ़ था। वह अपने सवालों के उत्तर तक पहुँचने के लिए तैयार थी, चाहे उसे कितनी भी कड़ी सच्चाइयों का सामना क्यों न करना पड़े।
रीतिका की आंखों में एक अजीब सी बेचैनी और गहरे सवालों का तूफान था, लेकिन उसने अपनी माँ से सीधा सवाल पूछने का साहस नहीं किया। उसकी माँ से बहुत प्यार था, और वह कभी भी अपनी माँ के खिलाफ नहीं जा सकती थी। वह जानती थी कि उस सवाल का जवाब पाने के बाद उसकी दुनिया पूरी तरह से बदल सकती है।
रीतिका ने अपने पापा से बात की और फिर सभी घर के लिए रवाना हो गए। गाड़ी में बैठते हुए रीतिका का दिल हर पल तेज़ी से धड़क रहा था। बाहर की हल्की रौशनी और गहरी रात की शांति में, उसकी आँखें चर्च को देख रही थी, जहां उसे महसूस हो रहा था कि वह एक नई राह पर चल रही है।
क्या रीतिका की माँ भी किसी पुरानी आत्मा या रहस्य से बंधी हुई है, जो उसे यह सब करने पर मजबूर कर रही थी? 👁️🗨️
क्या माया की आत्मा के पीछे कोई और शक्ति है, जो इस पूरी कहानी की सच्चाई को तोड़-मरोड़ रही है? 🕯️
क्या रीतिका की माँ अब भी किसी खतरनाक सच्चाई को छिपा रही है, जिससे पूरा परिवार तबाह हो सकता है? 🧩
आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए रांझन with सफ़र ........