रात बहुत भारी थी। ऐसा लग रहा था जैसे समय खुद भी थम गया हो। घड़ी की सुइयाँ आगे बढ़ रही थीं, लेकिन हर मिनट किसी सदी जैसा लग रहा था। डर, बेचैनी और अजीब सी घुटन पूरे घर में फैली हुई थी।
साहिल और रीतिका ने जैसे-तैसे रात काटी। हर छोटी-छोटी आवाज़ पर उनकी साँसें रुक जातीं, हर हलचल पर दिल की धड़कन तेज़ हो जाती। आखिरकार, सुबह की पहली किरण ने अंधेरे को थोड़ा पीछे धकेला। लेकिन यह उजाला, डर को पूरी तरह मिटाने के लिए काफी नहीं था।
जैसे ही घड़ी ने आठ बजाए, दरवाजे की घंटी बजी।
फादर आ चुके थे।
दरवाजे पर खड़े फादर की आँखें घर के अंदर झाँक रही थीं, लेकिन उनके चेहरे पर कुछ अजीब था।
उन्होंने पहला कदम अंदर रखा और कुछ ही सेकंड में उनकी भौंहें तन गईं।
"यह घर... यह घर कुछ कह रहा है," उन्होंने धीरे से कहा।
साहिल और रीतिका ने एक-दूसरे को घबराई हुई नज़रों से देखा।
फादर धीरे-धीरे आगे बढ़े, मानो वह किसी ऐसी चीज़ को महसूस कर रहे हों, जो आँखों से दिख नहीं रही थी। उन्होंने दीवारों को देखा, हवा में हाथ घुमाया, और फिर सीधे आन्या की ओर देखा।
आन्या ज़मीन पर बैठी थी, लेकिन उसके हाथ में कुछ था—एक पुरानी लकड़ी का खिलौना, जो साहिल और रीतिका ने कभी खरीदा ही नहीं था।
फादर ने थोड़ा झुककर उसे ध्यान से देखा।
"आन्या बेटा, यह तुम्हें कहाँ से मिला?" उन्होंने नरम आवाज़ में पूछा।
आन्या ने मुस्कुरा दिया, लेकिन उसकी मुस्कान में कुछ था… कुछ जो फादर को परेशान कर गया।
"उन्होंने मुझे दिया," आन्या ने धीरे से कहा।
"उन्होंने?"
"जो छत पर खड़े रहते हैं।"
इतना सुनते ही, फादर तुरंत खड़े हो गए।
उनकी आँखों में चिंता की एक लकीर थी। वह जल्दी-जल्दी पूरे घर में घूमने लगे। उन्होंने हर कोना देखा, हर कमरे में कदम रखा, मानो कुछ ढूँढ रहे हों।
अचानक, वह सीढ़ियों के पास रुक गए।
उन्होंने अपनी आँखें बंद कीं और धीमे स्वर में प्रार्थना शुरू कर दी। लेकिन जैसे ही उन्होंने पहला मंत्र बोला…
हवा तेज़ हो गई।
कमरे में रखे पेपर उड़ने लगे, पर्दे ज़ोर से फड़फड़ाने लगे, और घर के अंदर ठंडक बढ़ने लगी।
फादर ने धीरे से अपनी आँखें खोलीं और बोले—
"यह जगह शुद्ध नहीं है… यहाँ कोई और भी है।"
साहिल और रीतिका के शरीर में ठंडा पसीना दौड़ गया।
"फादर, यह सब क्या हो रहा है?" साहिल ने कांपती आवाज़ में पूछा।
फादर ने गहरी साँस ली और बोले—
"यह सिर्फ एक आत्मा नहीं है… यह उससे कहीं ज्यादा खतरनाक चीज़ है। और इसकी जड़ें इस घर से जुड़ी हुई हैं।"
अब यह साफ हो चुका था—जो कुछ भी हो रहा था, वह कोई साधारण चीज़ नहीं थी।
और अब, यह सिर्फ एक सवाल था—आगे क्या होगा?
साहिल और रीतिका के चेहरे पर चिंता की लकीरें गहरी होती जा रही थीं। जो कुछ भी हो रहा था, वह अब सिर्फ एक संयोग नहीं लग रहा था। पूरे घर में अजीब-सा सन्नाटा था, जैसे हर कोना किसी रहस्य को छुपाए बैठा हो।
साहिल ने फादर की तरफ देखते हुए कहा, "कहीं माया फिर से तो नहीं आ गई?"
रीतिका ने तुरंत सिर हिला दिया, "नहीं! माया अब क्यों आएगी? उसे तो अपना बदला मिल चुका था, उसकी आत्मा को शांति मिल गई थी।"
फादर कुछ देर तक सोचते रहे, फिर उन्होंने धीरे से कहा, "नहीं... यह माया की आत्मा नहीं है। यह कोई और है, कोई ऐसा जो इस घर से जुड़ा हुआ है।"
साहिल और रीतिका के दिल की धड़कनें तेज हो गईं।
आन्या चुपचाप खड़ी थी, लेकिन उसकी आँखों में कुछ ऐसा था, जो फादर को बेचैन कर रहा था। अचानक, उसने धीरे से कहा, "हमें यह घर छोड़ देना चाहिए।"
साहिल और रीतिका ने उसकी तरफ देखा। एक छोटी-सी बच्ची यह बात कह रही थी, लेकिन उसकी आवाज़ में अजीब-सा डर था, मानो वह खुद भी समझ रही हो कि यह जगह अब उनके लिए सुरक्षित नहीं थी।
फादर एंथनी ने गहरी साँस ली और धीरे से बोले, "नहीं, घर छोड़ने से खतरा और बढ़ जाएगा।"
"क्यों?" रीतिका ने घबराकर पूछा।
"क्योंकि यह चीज़ अब सिर्फ इस घर से नहीं जुड़ी… यह आन्या से जुड़ चुकी है।"
साहिल और रीतिका का खून जम गया।
फादर ने गंभीर स्वर में कहा, "आन्या ने इसे देखा है, महसूस किया है। अब यह शक्ति उसे अपने इशारों पर नचाने के बारे में सोचेगी। अगर तुम लोग घर छोड़कर भागोगे, तो यह सिर्फ और ताकतवर हो जाएगा।"
रीतिका की आँखों में डर उतर आया, "लेकिन फादर, यह एक छोटी-सी बच्ची है… वो कैसे इसे अपना निशाना बना सकता है?"
फादर ने गहरी आवाज़ में कहा, "आत्माएँ यह नहीं सोचतीं कि कौन बच्चा है और कौन बड़ा। वे सिर्फ अपने कब्जे में लेना जानती हैं।"
साहिल की मुट्ठियाँ कस गईं। अब यह सिर्फ डर की बात नहीं थी, यह उनकी बेटी की सुरक्षा की लड़ाई थी।
साहिल ने फादर की ओर देखा और कहा, "हमें इसका कोई समाधान चाहिए, फादर। हमें बताइए कि हमें क्या करना होगा?"
फादर कुछ देर तक चुप रहे। फिर, जैसे किसी भूली हुई याद को दोबारा पाकर, उन्होंने धीमे स्वर में कहा, "मानिकर्णिका..."
"मानिकर्णिका?" रीतिका ने हैरान होकर पूछा।
फादर की आँखों में एक अलग ही गहराई थी।
"बनारस के मानिकर्णिका घाट पर एक आदमी रहता है... उसे अघोरानंद कहते हैं। वह साधारण इंसान नहीं, बल्कि उन रहस्यों का रक्षक है, जो मृत्यु और आत्माओं की दुनिया से जुड़े हैं।"
साहिल और रीतिका ने एक-दूसरे को देखा।
फादर ने गहरी आवाज़ में कहा, "अगर इस आत्मा को रोका जा सकता है, तो सिर्फ अघोरानंद ही यह कर सकता है। लेकिन याद रखना… यह रास्ता आसान नहीं होगा।"
अब सवाल यह था—क्या वे इस खौफनाक रास्ते पर चलने के लिए तैयार थे?
पाठ 22
साहिल की गुजारिश पर फादर ने घर में ही रुकने का फैसला किया। अब यह सिर्फ किसी छोटी-मोटी गड़बड़ी का मामला नहीं था। जो भी ताकत इस घर में थी, वह अब पूरी तरह से अपने इरादे दिखाने लगी थी। हर कोने में एक अनदेखा डर समा रहा था, हर चीज़ में एक रहस्यमय सन्नाटा था।
फादर ने पूरे घर का मुआयना किया, हर दीवार, हर कोना, हर छाया को समझने की कोशिश की। लेकिन जैसे-जैसे रात गहराने लगी, घर की बेचैनी भी बढ़ने लगी।
क्या यह आत्मा सच में आन्या से जुड़ी हुई है, या कुछ और है जो उसे निशाना बना रहा है? 👻क्या अघोरानंद ही इस शक्तिशाली आत्मा को रोक सकते हैं, या उनका रास्ता भी खतरों से भरा होगा? 🔥क्या साहिल और रीतिका इस खौफनाक यात्रा के लिए तैयार हैं, या डर उनकी पूरी दुनिया को निगल लेगा? 😨 आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए रांझन with सफ़र ........