"रांझना with सफर"- 25

"तो इसका मतलब... यह खतरा अभी भी खत्म नहीं हुआ?"

अघोरानंद की गहरी आवाज़ कमरे में गूँज उठी,

"अगर हमने इसे पूरी तरह से नष्ट करने की कोशिश की, तो यह और ज्यादा भयंकर हो जाएगी। हमें इसे समय देना होगा। हमें इसे रोकना होगा, लेकिन खत्म नहीं करना होगा।"

फादर अब और सहन नहीं कर पा रहे थे। उनकी आँखों में डर की छाया थी।

"लेकिन... अगर इस दौरान किसी आत्मा ने आन्या को नुकसान पहुँचा दिया, तो?"

अघोरानंद पहली बार हल्का-सा मुस्कुराए।

"नहीं। कोई भी आत्मा आन्या को मार नहीं सकती।"

फादर ने चौंककर देखा, "ऐसा क्यों?"

"क्योंकि आन्या सिर्फ एक आम बच्ची नहीं है।"

फादर की साँस अटक गई। कमरे की जलती हुई मशालों की लौ एक पल के लिए काँप गई।

"तो... तो फिर क्या है वह?"

अघोरानंद ने गहरी सांस ली। फिर धीमे से बोले, "माया को मोक्ष मिल गया था, है ना?"

फादर ने धीरे से सिर हिलाया। "हाँ... लेकिन..."

"माया वापस आ चुकी है।"

"क्या?"

अघोरानंद ने गहरी आवाज़ में कहा, "आन्या ही माया है।"

फादर का खून जम गया। कमरे में तापमान गिरता जा रहा था।

"क्या मतलब?"

"माया की आत्मा को जब शांति मिली, तो उसने एक नया रूप धारण किया। माया किसी और के शरीर में लौटकर नहीं आई, बल्कि उसने नए रूप में जन्म लिया।"

फादर के होंठ काँप गए। उनकी आँखों में भय और अविश्वास था।

"तो क्या आन्या...?"

अघोरानंद ने सिर हिलाया।

"आन्या माया की पुनर्जन्मित आत्मा है। और यही वजह है कि आत्माएँ उसके आसपास भटक रही हैं। वह जन्म से ही पवित्र ऊर्जा से घिरी हुई है। कोई भी आत्मा उसे नुकसान नहीं पहुँचा सकती, लेकिन वे उसे अपने साथ ले जाना चाहती हैं।"

फादर पूरी तरह से हिल चुके थे।

"क्या इसीलिए आत्माएँ उसके आसपास घूम रही थीं?"

"क्या इसीलिए यह आत्मा आन्या को वश में करना चाहती थी?"

"क्या यह सब माया से जुड़ा था?"

अचानक, अघोरानंद ने ऊपर की ओर देखा। उनकी गहरी, रहस्यमयी आँखें अब कुछ और देख रही थीं।

"तुम यहाँ हो..." उन्होंने फुसफुसाकर कहा।

फादर ने चौंककर देखा, "कौन?"

अघोरानंद कुछ बोलने ही वाले थे कि तभी…

सीढ़ियों पर किसी के पैरों की आहट सुनाई दी।

साहिल लड़खड़ाता हुआ नीचे आ रहा था। उसकी आँखें नींद और दर्द से भरी थीं।

उसने चारों ओर देखा।

रीतिका बेहोश पड़ी थी।

फादर और अघोरानंद गंभीर चेहरे लिए उसकी ओर देख रहे थे।

"यह... यह सब क्या हो रहा है?" उसकी आवाज़ काँप रही थी।

उसने रीतिका को धीरे से उठाया और आन्या के कमरे की ओर बढ़ा।

कमरे की हवा भारी थी। चारों ओर एक अजीब-सी शांति थी, जो भयावह लग रही थी।

उसने आन्या की तरफ़ देखा।

वह चुपचाप सो रही थी... लेकिन उसके चेहरे पर अजीब-सा साया था।

उसने धीरे से उसका नन्हा हाथ पकड़ा और वहीं बैठ गया।

और फिर…

वह रोने लगा।

ज़ोर-ज़ोर से।

टूटकर।

बिलखते हुए।

क्योंकि अब कुछ भी वैसा नहीं था जैसा पहले था।

अब सबकुछ बदल चुका था।

अब सवाल यह नहीं था कि यह आत्मा क्यों आई थी।

अब सवाल यह था कि क्या साहिल और रीतिका अपनी बेटी को इस लड़ाई में अकेला छोड़ देंगे?

या फिर…

वे अपने डर से ऊपर उठकर आन्या के लिए लड़ेंगे?

सच का सामना – जब आन्या की किस्मत का फैसला हुआ

रात के काले साए धीरे-धीरे पीछे हट चुके थे। हवाओं का रुख बदल गया था, लेकिन घर के अंदर अब भी भय की गहरी परछाई टिकी हुई थी।

सूरज की पहली किरण खिड़की से होते हुए सीधे आन्या के चेहरे पर पड़ी। उसकी छोटी-छोटी पलकें हल्की सी फड़फड़ाईं, जैसे वह किसी गहरी नींद से जागने वाली हो। कुछ ही पल बाद, उसने धीरे-धीरे अपनी आँखें खोलीं।

साहिल की नज़र जैसे ही अपनी बेटी पर पड़ी, उसकी आँखों से आँसू बह निकले।

"आन्या!" उसने घबराए हुए स्वर में पुकारा।

रीतिका, जो अब तक टूट चुकी थी, अचानक जैसे भीतर से जगी। वह तेज़ी से आन्या की ओर बढ़ी और उसे अपनी बाहों में समेट लिया।

"आन्या, बेटा! तुम ठीक हो?"

आन्या ने धीरे-धीरे अपनी माँ को देखा। उसकी मासूमियत भरी आँखों में अब भी कुछ अजीब सा था, लेकिन वह मुस्कुरा दी।

"हाँ, माँ। मैं ठीक हूँ।"

साहिल और रीतिका की आँखों में राहत के आँसू छलक आए। उनकी बेटी बेहोशी से जाग गई थी।

लेकिन क्या इसका मतलब यह था कि अब सब ठीक हो चुका था?

 

 

 

 

क्या आन्या सच में माया की पुनर्जन्मित आत्मा है, और क्या इससे नई मुसीबतें आ सकती हैं? 😱 क्या साहिल और रीतिका अपनी बेटी को इस डरावने खेल से बचा पाएंगे, या आत्माएँ उन्हें भी खींच लेंगी? 👀 क्या अब सब कुछ ठीक हो चुका है, या यह सिर्फ शुरुआत है उस अंधेरे का जो अभी आना बाकी है?

 

 

 

आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए रांझन with सफ़र ........