'जो वादा किया वो निभाना पड़ेगा _ रोके जमाना चाहे _ रोके खुदाई तुझको आना पड़ेगा _ जो वादा किया वो निभाना पड़ेगा।'
गाना गुनगुनाते हुए उस पागलखाने के बाहर पहरा दे रहे चौकीदार अमन ने बगल में बैठे हुए चौकीदार को नींद से जगा दिया, जो उम्र में उससे काफी बड़ा था।
' जाओ जाओ - दूसरा राउंड लगा के आओ '
जम्हाई लेते हुए दूसरे ने जवाब दिया -
' अब बूढ़े से काम करवायेगा ' हंसते हुए खड़े होते हुए राममोहन ने जवाब दिया। ' ऐसे गाने गाते रहने से क्या होगा______जाकर बोल ना उसे '
' टांग मत खींचो अंकल______ आपको पता है वह किसी चौकीदार से शादी नहीं करेगी ' अमन ने टॉर्च जलाते हुए कहा।
'सच कहूं मैं होता तो तुझसे ही शादी करता___ तू है ही इतना प्यारा' राम मोहन ने अमन के गाल खींचते हुए कहां
दोनों हंसने लगे।
'ठीक है मैं आता हूं राउंड लगा कर'
पागलखाने में चारों तरफ अंधेरा छाया हुआ था रात की लगभग 12:00 बज चुके थे केवल अमन के गलियारे में चलने की आवाज आ रही थी।
वह 'दीवाना हुआ बादल' गाना गुनगुनाता हुआ सीढ़ियां चढ़कर पहली दूसरी व तीसरी मंजिल जांच करता रहा। उसका काम था कि नाइट ड्यूटी कर रही सारी नर्स सुरक्षित हो। सारे पागल (मरीज) अपनी जगह पर मौजूद हो। खासकर ऐसे मरीज को बांधे हुए थे उनकी जांच करना जरूरी था।
आज ही नया मरीज लाया गया था जिसने एक नर्स को कंधे से खा लिया था जिस पर वह अभी तक यकीन नही कर पाया था
जयशंकर हां यही नाम था। अमन ने मरीज का मन में नाम याद किया।
गलियारे में केवल खिड़की से आ रही चांद की हल्की सी चांदनी से थोड़ा - बहुत दिख रहा था।
उसके हाथ की टॉर्च बंद हो चुकी थी आज फिर वह बैटरी चार्ज करना भूल गया था।
जब वह, नर्स शारदा के केबिन के आगे पहुंचा उसने फिर से गाना गुनगुनाना शुरू कर दिया। शारदा वही थी जिससे अमन प्यार करता था पर वह कह नहीं पाया था जिसका कारण था उसका चौकीदार होना। उसने सोच रखा था कि जैसे ही वह कोई अच्छी बताने लायक जॉब ढूंढ लेगा। वह शारदा से प्रेम का इजहार कर लेगा।
उसने गुनगुनाना बंद कर दिया जब उसने केबिन के अंदर (कांच के उस तरफ) अजीब सी आवाज सुनी जैसे कोई कुत्ता गुर्रा रहा हो।
थोड़ी देर तो वह झिझका पर फिर उसने हिम्मत कर दरवाजा खटखटाया।
'शारदा मैम ,आप ठीक है ना'
काफी देर तक अंदर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। इससे पहले वह दरवाजा खोलता किसी ताकतवर हाथ ने अंदर से कांच तोड़ दिया और किसी बंदर की तरह गुर्राता बाहर गलियारे में आ गया। अमन सिर्फ उसकी काली परछाई ही देख सकता था उसके सफेद बाल खिड़की से आती ठंडी हवा से लहरा रहे थे।
अमन चीख पड़ा। उस व्यक्ति ने अपना हाथ अमन के चेहरे पर दे मारा। अमन कांपता हुआ फर्श पर गिर पड़ा वह देख सकता था कि वह परछाई उसकी तरफ बढ़ रही थी .... उसका शरीर डर के मारे ठण्डा पड़ चुका था ...उसने टॉर्च की बैटरी पर अपना कांपता हाथ मारा जिसकी बदौलत टॉर्च कुछ पल के लिये चालू हो गई। जिसकी रोशनी उस व्यक्ति के चेहरे पर जा पड़ी।
वह जयशंकर था लेकिन पूरी तरह से बदला हुआ उसकी आंखें पीले रंग सी नजर आ रही थी उसका मुंह , दांत खून से भरे थे जैसे ही रोशनी उस पर पड़ी जय शंकर कांप उठा जैसे उसे बिजली का झटका दिया गया हो। वह भागने लगा और खिड़की से कूद गया।
अमन को खुद को सम्भालने और स्थिति समझने मे समय लगा वह सपना नही देख रहा था । अमन उसे देखने खड़की के पास इस उम्मीद से पहुंचा कि इतनी ऊंचाई से गिरने पर वह मर चुका होगा लेकिन नीचे कोई नहीं था। वह जंगल की तरफ भाग गया था वह हांफता हुआ केबिन में पहुंच जाता पहुंचा जहां का दृश्य देख कर अंदर तक कांप उठा शारदा वहा मरी पड़ी थी उसके पेट को चीर फाड़ कर खाया गया था उसके गालों का मांस गायब था पूरे केबिन में खून ही खून था।
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'और कुछ मिला मिश्रा' कुर्सी पर बैठे इंस्पेक्टर ने मोटे से दिखने वाले हवलदार मिश्रा को कहा।
'नहीं जनाब बस इतना ही' मिश्रा ने जवाब दिया,
'सर लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी है' बाहर से आते दूसरे हवलदार ने कहा।
राममोहन बाकी नर्स के साथ बाहर खड़े थे सिवाय अमन के जो कुर्सी पर बैठा रोयें जा रहा था राममोहन उसके कंधे को पकड़े था वह शारदा के प्रति उसके दुःख को समझ सकता था ।
'तो फिर पोस्टमार्टम का इंतजार करते हैं - मुझे तो ये चौकीदार क्या नाम है इसका__' इंस्पेक्टर में सोचते हुए कहा
'सर-अमन' दूसरे हवलदार ने जवाब दिया
'अमन इसी ने देखी ना लाश पहले ...... जरूर इसी ने कुछ किया होगा' इंस्पेक्टर ने फैसला सुनाते हुए कहा और दूसरे हवलदार ने हां में सिर हिला दिया।
'सर बहुत बुरी तरीके से मारा है . . . यह उसके बस की बात नही है _ _ यह काम जयशंकर का ही लगता है कल उसने हास्पीटल मे नर्स के साथ यही किया था ' मिश्रा ने कहा।
'मिश्रा ... पगला गए हो .......अब इंसान इंसान को खाएगा क्या ' इंस्पेक्टर और हवलदार हंसने लगा।
'सर शायद हमें जंगल की तरफ जाकर उसे खोजना चाहिए वह जिससे मिलेगा उसकी जान खतरे में होगी।
'मिश्रा , मिश्रा .....रुक जा दिमाग मत लगाओ इतना .... जंगल क्या तेरा बाप जायेगा मोटे इतनी रात को ..... इंस्पेक्टर हम है तुम नही' इंस्पेक्टर ने कहा 'शक के बेस पर उस चौकीदार को थाने ले चलो बाकी कल सुबह देखेंगे _ _ _ समझे , इंस्पेक्टर सिगरेट का एक कश लेकर कहा , ' रही बात उस जयशंकर की _ _ तो वह सुबह मिल ही जायेगा '
'जी सर' मिश्रा ने जवाब दिया
*****
'हुआ क्या है जय' नंदलाल ने जय से पूछा।
तभी जय के घर की घंटी बजी जिससे जय चौक पड़ा।
'रिलैक्स, संजना होगी' नंदलाल ने कहा।
सुबह हो चुकी थी। जय पूरी रात सो नहीं पाया था उसे बार-बार मानव और जयशंकर दोनों के चेहरे याद आ रहे थे।
'जय तुम ठीक हो' संजना ने उसे गले लगा लिया जिससे सचमुच जय को राहत मिली थी।
'जब से बॉस का कुत्ता मरा है यही हालत है इसकी __ इतना तो बॉस भी दुखी नहीं हुए होंगे' नंदलाल ने जय को हंसाने की कोशिश की पर जय पर कोई खास असर नहीं हुआ।
'क्या हुआ जय' संजना ने उसके गालों पर हाथ रखते हुए कहा।
जय ने देहरादून की पूरी कहानी और मानव रायचंद के बदलाव को दोनों को सुना दिया।
नंदलाल सोफे पर हाथ पटक-पटक कर हंसने लगा लेकिन संजना गंभीर थी।
'मैं सच कह रहा हूं' जय ने कहा।
'तुम्हें किसी डॉक्टर से मिलना चाहिए जय' संजना ने चिंताजनक भाव से कहा।
जय ने संजना को खुद से दूर कर दिया
'तुम्हें मैं पागल लग रहा हूं' जय ने चिल्लाकर कहा, 'ऑफिस जाना खतरे से खाली नहीं है'
नंदलाल फिर हंसने लगा और रिमोट लेकर टीवी चलाने लगा।
'टीवी की आवाज धीमी रखो नंदू' संजना ने नंदलाल से कहा।
'हां ठीक है' वॉल्यूम कम करते हुए नंद बोला वह लगातार चैनल बदलता रहा जिसके कारण कमरे में कभी कोई डायलॉग तो कभी कोई गाना गूंज रहा था।
'मेरी बात सुनो जय ___ यह सब तुम्हारा भ्रम है ___ बच्चों जैसी बातें मत करो __ पापा बीमार है ठीक हो जाएंगे और तुम्हारे बॉस बहुत अच्छे आदमी हैं तुम्हें पता है ना देखो'
यह बहुत दर्दनाक हादसा रहा ___ टीवी से आवाज आई नंदलाल ने न्यूज़ चैनल लगा दिया था।
'रुको आवाज बढ़ाओ ' जय ने टीवी देखते हुए कहा।
संजना ने जब जय का ध्यान टीवी पर देखा तो वह भी टीवी में देखने लगी
एक लेडी रिपोर्टर ताजा खबरें सुना रही थी
'यह तो तेरी दोस्त आराधना सिंह है ना ' नंदलाल ने संजना से कहा
' हां तो ' संजना ने जवाब दिया
'मेरी बात चला ना '
' तु पागल है . . . .मैंने गर्लफ्रेंड बनवाने की योजना खोल रखी है '
'तो मेरे लिए इतना नहीं करेगी '
' शक्ल देख ले अपनी पहले
'शक्ल के बारे में कुछ नहीं .. '
' है तो बोलुंगी ही ना '
' अरे चुप रहो यार .... वोल्यूम बढा नन्दू ' जय ने गम्भीरता से आवाज ऊँची करते हुए कहा
*ब्रेकिंग न्यूज़*
आराधना सिंह - जी हां आप सुन रहे हैं मशहूर बिजनेसमैन एनआईटी के मालिक मिस्टर मानव रायचंद के पूरे परिवार को बेरहमी तरीके से मार डाला गया है फिलहाल कोई नहीं जानता कि ऐसा किसने और क्यों किया होगा ? मानव जी सदमे में है और उन्हें हॉस्पिटल में शिफ्ट कर दिया गया है क्योंकि वह हादसे के बाद पागलों की तरह चिल्लाते पाए गए थे पुलिस जांच पड़ताल कर रही है हम देंगे आपको पूरी खबर ,बने रहिए हमारे साथ , मै आराधना सिंह ,आज कल तक से ...
*
आराधना सिंह -आज कल तक से
' गुड अराधना '
ताली बजाते हुए कैमरामैन ने कहा ।
" थैंक्स ,सर आ गये क्या , मयंक"
"हां, अपने ऑफिस में है "मयंक ने कहा जो टेबल के उस तरफ अपने पेपर को समेटने मे लगा हुआ था ।
आराधना भागती हुई ऑफिस में पहुंच गई
'सर , मे आय '
'हां आराधना बोलो क्या हो गया ' आज तक के मालिक लालाराम ने कहा जो गोल से चेहरे वाले मोटे से व्यक्ति थे
'सर वह मैंने जयशंकर के बारे में कहा था याद है आपको'
'हां याद है पर तुम उसे स्टोरी पर काम नहीं करोगी '
'लेकिन क्यों सर .........जयशंकर अपने टाइम का ग्रेट मैथमेटिशियन रह चुका है यह न्यूज़ बहुत तहलका मचाएगी '
'हमारे पास और भी काम है आराधना'लालाराम ने आराधना को नजरअंदाज करते हुए कहा
' सर रायचंद की स्टोरी में दम नहीं है '
'अच्छा ,तुम्हें कैसे पता'
'प्लीज सर ...एक बार ... प्लीज'
'सिर्फ एक बार ही .....स्टोरी में दम नहीं हुआ तो ध्यान रहे कि तुम'
'मैं स्टोरी छोड़ दूंगी ,थैंक यू सर ' उसने लालाराम के गालो को खुशी से चूमा और बाहर चली गई
'और हां सुनो मयंक को साथ लेकर जाना.... पिछली बार जो हुआ था वह तो याद है ना' लालाराम ने तेज आवाज में कहा था कि आवाज आराधना तक पहुंच सके
'जी सर ' आराधना ने चिल्लाकर जवाब दिया
*
'तो सात दोस्त ट्रीप पर गए थे ,राइट ' संजना ने दहशत मे पूछा
जय ने हा में सिर हिला दिया
'रुक मतलब अगर तेरी कहानी सही है तो साथ पागल शहर मे घूम रहे हैं जो किसी को भी मार सकते हैं जिनको छूने से गर्मी होती है' नंदलाल ने सोचते हुए कहा, जय के चेहरे की प्रतिक्रिया देखकर नंदलाल ने आगे कहा, 'सॉरी मतलब तेरे पापा के अलावा'
तभी जय का फोन बजने लगा
- हैलो
- जी मिस्टर जय बात कर रहे है?
- जी सर
-मैं इंस्पेक्टर राजेश बोल रहा हूं आपके पिता कल रात से लापता है तो आप देहरादून वापस आने की कृपा करेंगे ......कल थाने आ जाइए ........ ठीक है . . . . .सुना आपने ...... मिस्टर जय ....... है . . . . हेलो कोई है वहां पर .. . . . .
- जी सर
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