3.सब कुछ ठीक है, समझें

जंगल के खत्म होते ही बस्ती शुरू हो जाती थी । कुछ कुत्ते जंगल की हिलती झाड़ियों को देखकर भौंक रहे थे । रात में पक्षी घोंसला छोड़ते उड़ते दिख रहे थे ।

 जंगल के सबसे करीब घर की छत पर वह spider-man के कॉस्ट्यूम पहन कर घूम रहा था उसका नाम भार्गव था जिसकी उम्र लगभग 10 साल थी । नीचे मां की तेज आवाज में उसे नीचे बुलाने की आ रही थी

'भार्गव बस अब नीचे आकर कपड़े उतार दो ,भार्गव ... सुना कि नहीं '

'मां झाड़ियां हिल रही है ' भार्गव ने ऊपर से घबराई हुई आवाज में कहां

चौक में टीवी देखते उसके पापा ने कहा ।

' लो इसकी कहानियां फिर शुरू '

' आपने ही बिगाड़ दिया है ' मां यह कहते हुए छत पर पहुंची और उसे कान पकड़े नीचे ले आई।

मां उसे डांटते -डांटते रुक गई ...

क्योंकि

घर का मुख्य दरवाजा खुला था तो मेहमान को आने के लिए दरवाजा खटखटाना नहीं पड़ा और शायद ही जयशंकर दरवाजा खटखटाकरअनुमति लेता । वह पूरी तरह से बदल चुका था ।

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'अच्छा बताओ ... कब ? ' कार चलाते हुए मयंक ने बगल में बैठी अराधना से पूछा

'तुम किस बारे में बात कर रहे हो ' आराधना ने खिड़की से बाहर देखते हुए कहा

' तुमने मेरे प्रपोजल का जवाब नहीं दिया अभी तक ' मयंक ने गम्भीरता से कहा

'लो तो फिर शुरू हो गए, मैं अभी तैयार नहीं हूं मैं '

'तो कब, बताओ मुझे .....किसी और से प्यार करती हो '

'पुलिस स्टेशन आ गया ' आराधना जल्दी से मयंक का चेहरा देखे बिना की कार से उतरकर पुलिस स्टेशन की तरफ बढ़ गई

'क्या लड़की है 'स्टेरिंग पर हाथ मारते हुए मयंक ने कहा

मिश्रा ड्यूटी पर जब पुलिस स्टेशन पहुंचा तो उसने देखा अमन लॉकअप मे था ।

' सर ... मैंने कुछ नही किया ' अमन ने गिड़गिड़ाते हुए कहा उसके आंसू रुक ही नही रहे थे

मिश्रा बिना सोचे समझे ही इंस्पेक्टर राजेश के केबिन मे घुस गया ।

इंस्पेक्टर से मिलने दो लोग आये हुये थे मंयक और अराधना

' हा यही तो है , मिश्रा जी ' राजेश ने दिखावटी हंसी से कहा । दोनो रिपोर्टर उसे मुड़कर देखने लगे

मिश्रा को इतनी इज्जत मिलना अजीब लगा

' सर वो अमन .... ' मिश्रा ने कहना शुरु किया लेकिन

' अमन को छोड़ो ... जंगल मे कोई मिला के नही भई ' राजेश ने नाटकीय ढंग से कहा

' कौनसा जंगल .. ' दुविधा मे मिश्रा इधर -उधर देखने लगा

' अरे जयशंकर मिला कि नही ... जंगल गये थे ना ' राजेश ने रिपोर्टर से नजरे बनाकर आंख मार दी

' नही सर ' मिश्रा ने स्थिति समझ ली

' देखा मैडम हम पूरा सिरियस है . . . जयशंकर को लेकर ... आप चिंता न करे . . . . कोई खबर आयेगी तो कहेगे '

' खबर तो हम छापेगे Mr. राजेश ' धमकी देने के अंदाज मे खड़े होकर अराधना ने कहा

मंयक ने उसे वापस शांत करके बिठा दिया

' रिलेक्स ' मंयक ने कहा

' सर , अमन अंदर ... " मिश्रा अपनी बात पूरी करता उससे पहले ही

' सर , बूरी खबर है ' बाहर से आये हवलदार ने कहा

' सही है . . . अच्छी तो सुबह से खबर मिली कहां है . . . . ठीक है मैडम जी को ले जाओ सर ... खामखा हमारा काम सीखा रही है ' राजेश ने हाथ जोड़े और बाहर निकल गया

जिसके पीछे मिश्रा और दूसरा हवलदार भी चले गये

' रिलेक्स उसे अपना काम करने दो ' मंयक ने कहा , ' चले'

' क्यो न जयशंकर के घर जाकर आये तो ... कुछ तो मिलेगा '

' मुझे नही लगता '

'चुपचाप चलो '

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' माथा खा गई .. रिपोर्टर साली .. हा कहो ' राजेश ने कहा

' सर वो जयशंकर जिस जंगल की ओर भागा था उसी जंगल के दूसरे किनारे पर वैसे ही लाशे मिली है . . . कॉल आया है वहां से '

' साला ये क्या चक्कर है '

'सर वो अमन ' मिश्रा ने फिर कहा

' अबे यार मिश्रे .... '

'सर ,मिश्रा ' मिश्रा ने सही नाम बताया

' बेटा , हमे ना सीखाओ ... उस अमन का ही किया धरा लगता है '

' सर वो उसका साथी चौकीदार बाहर बैठा है . . . . मिलना चाहता है ' हवलदार ने कहा

'उसे भगाओ यार ... पहले चलके आते है . . . सुबह की लाशे देखकर आते है ,हमारे लिये चाय लाओ पहले .. ' राजेश ने मिश्रा को कहा , ' और हां मिश्रे यही रहो '

' सर अमन ' मिश्रा ने फिर कहा

यह सुनकर राजेश ने मिश्रा थप्पड़ लगा दी । मिश्रा चुपचाप खड़ा रहा जैसे आंसू को रोके हुए हो।

'मै आकर देखूगा '

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जय , नन्द और संजना वहां आ पहुंचे

' सर _ _ अभी यहां नही है '

'एक मिनट आप जयशंकर जी के बेटे है '

' जी '

' बैठिये '

मिश्रा ने उन्हे बैठा लिया । उसने सारी बात तीनो को बताई।

' देखो पहले नर्स, फिर पागलखाने मे शारदा और आज सुबह दो लाशे मिली है . . . . सर उनकी ही जांच करने गये है ' मिश्रा ने सामने बैठकर कहा , ' और हमे लगता है ये सब आपके पिता ने किया हैं '

जय चुपचाप रहा

' तो हम इसमें क्या कर सकते है सर ' संजना ने पूछा

' क्या वे लॉकअप मे है ' नन्दलाल ने बीच मे ही पूछा

'नही ' मिश्रा ने जवाब दिया

' तो मानव रायचन्द भी ... ' नन्द ने कहना चाहा लेकिन संजना ने उसे रोक लिया

' मानव रायचन्द का क्या '

 ' कुछ नही , ये तो कुछ भी बोलता रहता है ' संजना ने मुस्कुराकर कहा

' चलिये आपको कुछ भी पता हो तो आप बता दे ' मिश्रा ने गम्भीर होकर जय से पूछा

' नही सर , हमे कुछ नही पता ' जय ने झूठ कह दिया ।

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जय के जाने के बाद मिश्रा उठा और लेपटोप टटोलने लगा

वह ' मानव रायचन्द ' बड़बड़ाता चला जा रहा था ।

मिल गया । उसने मानव रायचन्द के घर से मिली लाशो की खीची फोटो देखने लगा

' ये तो वैसी ही है जैसी जयशंकर की मारी लाशे .... लेकिन जयशंकर वहा नही पहुंच सकता वो तो वहां से काफी दूर है . . . मानव तो बैगलोर मे है . . तो जयशंकर की जैसा कोई ओर भी है . . . सीट ... सर नही मानेगे मेरी बात '

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अराधना और मंयक अशोक और उसकी पत्नि से बात कर चुके थे जो जयशंकर के पड़ौसी थे उसकी बाते सुनकर मंयक का मुंह खुला रह गया

और अराधना खुश होती हुई बोली

' देखा मैने कहा था न कि स्टोरी इंट्रस्टिग है '

' हा जी हा , अब चले , मुझे तो ये अशोक झूठा लगा .. . . . ऐसा होता है भला ' मंयक कार की तरफ बढ़ने लगा लेकिन अराधना जयशंकर के घर को देख रही थी

' चले ' मंयक ने कहा

' मेरे पास एक आइडिया हैं ' अराधना ने आंख मारकर कहा

' देख नही '

' अरे कुछ नही होगा '

' नही यार .. ' मंयक की बात पूरी हो इससे पहले अराधना ने पास रखे पत्थर को ताले पर दे मारा और ताला टूट गया

 

' हे भगवान ' मंयक चिल्लाया

वे दोनो घर को बारिकी से देखने लगे खासकर अराधना । घर बदबु से भरा पड़ा था जिसके कारण उन्होंने अपने नाक रुमाल से ढक लिये थे

' मुझे कुछ ठीक नही लग रहा अराधना ... वापस चलते है '

' देखो ये बदबु अण्डर ग्राउन्ड से आ रही है . . . चलो ' अराधना ने नीचे की तरफ सिढीया उतरते हुए कहा

' पर तुम्हे बदबु की तरफ ही क्यो जाना है। ' मंयक ने कहा

जब अण्डर ग्राउन्ड पहुंचे तो अंदर कुछ कुत्ते थे जो कुछ मांस जैसा खा रहे थे ये दृश्य दिल दहलाने वाला था

मंयक को यकीन था कि उस मांस मे कम से कम उसे तीन चेहरे दिखे थे । अराधना चीख पड़ी । कुत्ते उन पर भौंकने लगे और उनकी तरफ दौड़ पड़े । दोनो ने सिढ़ीया चढ़कर दरवाजा कुत्तो के उन तक पहुंचने से पहले बंद कर दिया पर तब तक एक कुत्ता मंयक का पैर काट चुका था जिससे बचने के लिये उसने उसे लात मारी थी

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पुलिस वहां पहुंच चुकी थी । राजेश चिंता मे नजर आ रहा था । उसे यहां लगभग सात लाशे मिली थी । उसने अपना गुस्सा मिश्रा को बुरा भला कहकर निकाला फिर शांत होकर सिगरेट पीने लगा । उसे पहली बार डर लगा जब जानवरो के विभाग से आये लोगो उन कुत्तो को पकड़ा था इसमें बड़ी मेहनत लगी थी । शुरुवात में ही अराधना ने सतर्क किया था कि दरवाजा न खोले पर राजेश नही माना जिसके कारण अब उसका एक हवलदार घायल था। इसका अफसोस ज़रा भी नही था हालाकि इतनी लाशे देखकर उसने दो बार उल्टी कर दी थी इसीलिये वह सारा काम मिश्रा को थमा कर आया था । फोरेन्सिक डिपार्टमेन्ट के साथ सिर्फ मिश्रा ही अंदर था बाकि सब पुलिस वाले सदमे मे थे

अंदर -

' मिश्रा कैसे हो यार , अभी भी हवलदार ही हो ' फोरेन्सिक डिपार्टमेन्ट के एक डॉक्टर ने कहा

' क्या करे सर ' हंसते हुए मिश्रा ने कहा, 'तो क्या लगता है सर '

' कम से कम आठ लाशे है मिश्रा ' डाक्टर राघव ने ऐसे कहा जैसे उसे खुद यकीन न हो

' तो कुतो ने मारा है ? ' मिश्रा ने पूछा

' नही शायद ' काम करती एक महिला ने कहा , ' ऐसा केस पहली बार आया है . . . शायद इंशान या कोई दुसरा जानवर '

' जयशंकर ' मिश्रा ने सोचा ,

'उसने शायद तीन पहले किया हो ये' मिश्रा ने कहा

' नही , नही इसमे दो लाशे कल की है मिश्रा '

' सच में '

' हा भई , मै झूठ क्यो कहूगा '

' और सर हमे ये सब हमारे काम करने की जगह पर चाहिये ... मांस का एक - एक टुकड़ा .... शायद लाशे ज्यादा है'

' मतलब दो नही ऐसे तीन लोग है जयशंकर , एक बैग्लोर और ये खून करने वाला ' मिश्रा सोच रहा था

मिश्रा जब अपनी पेंट पेट तक चढ़ाते बाहर आया तब तक अराधना जा चुकी थी और राजेश कुछ कहने के मूड मे नही था। वहां एक छोटा लड़का भी था जिसका नाम भार्गव था जो जयशंकर से बच गया था। वह पंलग के नीचे छुप गया था उसके मां बाप की लाश मिली थी । वह सुन्न पड़ा था । एक लेडी हवलदार उसे खाना खिलाने मे लगी थी लेकिन वह कही ओर ही खोया था ।

' इस बच्चे रिश्तेदारो मे कोई ओर है क्या ' मिश्रा ने पूछा

' इसका बडा भाई है नन्दलाल , पर उसका फोन स्विच ऑफ है। 'लेडी ने जवाब दिया

तभी वहां कमीशनर आ पहुंचे राजेश खडा हो गया

' सर '

' क्या है ये राजेश , ऐसे काम हो रहा है बैठ कर ' कमीशनर ने चीखकर कहा

' हम काम मे ही लगे है सर ' राजेश ने कहा

' अच्छा कितनी लाशे मिली हैं '

' सर शायद दो '

' सर आठ लाशे लगभग ' मिश्रा ने जवाब दिया

कमीशनर ने गुस्से से राजेश को देखा

' ढंग से काम करो , मिडीया इस पर ही लगी है पूरी '

वह बाहर चला गया ।

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' ये भी मर गया होगा ' नन्द ने कहा।

जय , नन्द और संजना ने जयशंकर के साथ गये उसके सातो दोस्तो की लिस्ट निकाल चुका था। अब तक वे चार लोगो से मिलकर आ चुके थे । अजीब बात ये हुई कि चारो ही हार्ट अटैक से मर चुके थे । अब वे पांचवे व्यक्ति से मिलने वाले थे जो एक डांक्टर थी

' क्या नाम है उसका ' संजना ने जय से पूछा

' संध्या ' जय ने जवाब दिया

' पहले मेरा फोन चार्ज कर ले यार कही रुक कर ' नन्द ने कहा

' थोड़ा रुक जा यार , ये लास्ट घर है '

 

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राजेश फिर से मिश्रा को डाटने मे लगा था और आखिर मे उसने कहा

' जा छोड़ दे उस अमन को '

' ठीक है सर ' मिश्रा ने कहा , ' सर हमे जयशंकर को ढूढ़ना शुरू कर देना चाहिये '

' तु फिर अपनी होशियारी झाड़ने लगा ... हवलदार है तु याद रख साले .... चाय ला मेरे लिये .... मदन चाय वाले से लाना '

' जी सर ... पर सर मुझे सब कुछ गड़बड़ लग रही है '

' सब कुछ ठीक है ,समझे .... ऐसे बोलते बोलते जा चाय लेने' राजेश ने सिगरेट निकाल ली

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