Dragon lizard

अभय अपनी ताकत बढ़ाने के बारे में सोच रहा था। तभी अचानक से एक ड्रैगन जैसा दिखने वाला प्राणी महल का कवच तोड़कर अंदर घुसता है। इससे काफी ज्यादा शोर हुआ था, जिससे अभय का ध्यान भी उसकी तरफ जा चुका था।

 

वह प्राणी इधर-उधर देख रहा था। अभय की तरफ देखकर वह तेजी से उसकी तरफ बढ़ने लगा। यह देखकर उसके पास खड़ा सैनिक बोला, "राजकुमारी, आप जल्दी से पीछे हटें।" यह कहकर वह अपनी तलवार हाथ में लिए अभय के सामने खड़ा हो जाता है।

 

उस सैनिक के मन में भी पसीने छूट रहे थे, क्योंकि उसके सामने एक ड्रैगन छिपकली उड़ रही थी। बेशक वह असली ड्रैगन नहीं थी, पर वह ड्रैगन से कम खतरनाक भी नहीं थी।

 

वह ड्रैगन छिपकली अचानक से अभय की तरफ झपटी। यह देखकर सैनिक अपनी तलवार में लाल रंग का ऊर्जा इकट्ठा करता है और तेजी से उस पर वार कर देता है, लेकिन उसके वार से उस छिपकली को ज्यादा फर्क नहीं पड़ा।

 

सैनिक के हमले ने बस उस छिपकली को और ज्यादा गुस्सा दिला दिया और उसके शरीर पर हल्का सा एक निशान छोड़ दिया। यह देखकर सैनिक के भी पसीने छूट रहे थे। तभी उसका ध्यान अपने पीछे खड़ी हुई राजकुमारी पर गया और वह बोला, "राजकुमारी, क्या आप हमें कुछ मजबूत करने वाले मंत्रों की मदद से थोड़ी शक्ति प्रदान कर सकती हैं?"

 

अभय को कुछ समझ में नहीं आया और ना ही वह उसे कोई शक्ति प्रदान कर सकता था, क्योंकि वह ना तो अपनी स्पिरिट पावर को कंट्रोल कर सकता था और ना ही कोई मंत्र जानता था। वह अपने आप को इस हालत में काफी लाचार महसूस कर रहा था।

 

अभय, जो राजकुमारी के शरीर में था, घबराते हुए बोला, "बात यह है कि मैं कुछ नहीं कर सकता, मतलब कर नहीं सकती।" सैनिक चिल्लाते हुए बोला, "अगर आपने कुछ नहीं किया तो हम दोनों यहीं पर मरने वाले हैं।"

 

अभय बोला, "ऐसी बात नहीं है कि मैं कुछ करना नहीं चाहता, मतलब करना नहीं चाहती। बात यह है कि मैं अभी कोई मंत्र बिल्कुल नहीं बोल सकता।"

 

राजकुमारी के मुंह से यह बातें सुनने के बाद सैनिक अपने आप को थोड़ा शांत करता है और अपने पूरे शरीर में लाल ऊर्जा को प्रवाहित करने लगता है और अपनी ताकत बढ़ाकर सीधा उस ड्रेगन छिपकली की तरफ दौड़ पड़ता है।

 

लेकिन वह जानता था कि वह इस जादुई प्राणी का बिल्कुल भी सामना नहीं कर सकता। जैसे ही सैनिक उस पर हमला करने की कोशिश करता है, वह उसकी पूंछ के झटके से दूर फेंक दिया जाता है।

 

अब ड्रेगन छिपकली सीधा अभय की तरफ उसे खाने के लिए बढ़ रही थी। यह देखकर अभय अपनी जगह पर बुरी तरह से जम चुका था। वह सोच रहा था कि लगता है वह इसी तरह मरने वाला है।

 

तभी उसके पीछे खड़ी हुई नौकरानी बोलती है, "राजकुमारी, पीछे हटिए।" जैसे ही अभय का ध्यान जाता है, वह देखता है कि नौकरानी कुछ स्पेल को कास्ट कर रही थी। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि वह साधारण सी दिखने वाली नौकरानी एक जादूगरनी हो सकती है।

 

वह देखता है कि जैसे ही अभय पीछे हटता है, नौकरानी ने एक बड़े से बर्फ के भाले की मदद से छिपकली के दोनों पंखों को काट दिया था। यह देखकर पास ही में गिरा हुआ सैनिक बोला, "रैंक 4 का मैजिक! इसका मतलब वह एक चार सरकल वाली मैज है।"

 

अपने पंख काटने के बाद ड्रेगन छिपकली जोर से दहाड़ती है। इतनी देर में वहां पर कई सारे सैनिक आ चुके थे, जो अपनी तलवारों में ऊर्जा इकट्ठा कर सीधा उस छिपकली को घेर लेते हैं। तभी एक आदमी पीछे से आता है और अपनी तलवार में भयंकर ऊर्जा इकट्ठा करता है और एक ही बार में उस छिपकली के दो टुकड़े कर देता है।

 

वह आदमी सेनापति था। वह राजकुमारी के पास जाकर बोलता है, "क्या आप ठीक हैं?" अभय हां में जवाब देता है। तभी सेनापति बोलता है, "अगर आप अपनी सुरक्षा कवच को चालू कर देतीं तो यह छिपकली जैसे 100 प्राणी भी आपका कुछ नहीं बिगाड़ पाता। मुझे समझ में नहीं आ रहा कि आपने उसका उपयोग क्यों नहीं किया।"

 

अभय सुरक्षा कवच के बारे में कुछ नहीं जानता था। अब वह थोड़ा घबराया हुआ था। उसे लग रहा था कि शायद उसका भांडा कहीं फुट ना जाए। तभी पीछे से नौकरानी बोलती है, "आपकी इतनी हिम्मत जो आप राजकुमारी से इस तरह सवाल पूछें।"

 

सेनापति तुरंत राजकुमारी से माफी मांगता है और नौकरानी राजकुमारी को अपने साथ वहां से लेकर निकल जाती है। वह बोलती है, "आपकी यादश जा चुकी है। इस बारे में हम किसी को बताने नहीं देंगे।"

 

अभय नौकरानी से पूछता है, "वह सुरक्षा कवच के बारे में बात कर रहा था?" यह सुनकर नौकरानी बोलती है, "आप रैंक 8 की हीलर हैं।" यह सुनकर अभय थोड़ा हैरान था, क्योंकि उसे पता था कि मेजस के रैंक होते हैं। लेकिन उसे इस बारे में बिल्कुल नहीं पता था कि हीलर के भी रैंक होते हैं।

 

फिर अभय इस बात पर ज्यादा गौर नहीं करता और बोलता है, "तुमने अभी मैजिक का इस्तेमाल किया था, ना?" नौकरानी बोलती है, "हां, पर मैं मैजिक में इतनी ज्यादा अच्छी नहीं हूं, इसलिए सिर्फ चार सर्कल की ही मेज बन पाई हूं।"

 

यह सुनकर अभय को उससे थोड़ी जलन होने लगी थी, क्योंकि वह भी एक जादूगर बनना चाहता था, पर अफसोस वह इस बारे में अब कुछ नहीं कर सकता था।

 

अपने कमरे में आने के बाद अभय अपने आप को थोड़ा शांत महसूस करता है और आज के उस हमले के बारे में सोच रहा था। फिर वह अपनी पास से वही लीजेंडरी खंजर को बाहर निकालता है।

 

अभय थोड़ा नर्वस था, फिर भी घबराते हुए बोलता है, "मैं अभय, इस खंजर के साथ अपनी आत्मा को जोड़ना चाहता हूं।" अभय का ध्यान खंजर पर ही था, लेकिन थोड़ी देर तक कुछ नहीं होता। यह देखकर अभय सोचता है, "लगता है कि मेरी आत्मा किसी और दुनिया से है, इस वजह से मैं इसके साथ कॉन्ट्रैक्ट बिल्कुल नहीं बना सकता।"

 

यह सोचकर वह अपने बिस्तर की तरफ जाने ही लगा था कि तभी चारों तरफ कुछ सर्कल उभरने लगते हैं। अभय इन सर्कल्स को देखकर हैरान था। तभी अचानक से चारों तरफ अंधेरा छा जाता है और अभय देखता है कि उसका पूरा शरीर नीला दिखाई दे रहा था।

 

ध्यान से देखने पर उसे पता लगता है यह तो उसका असली शरीर है। अब उसे समझ में आया था कि यह उसका शरीर नहीं बल्कि उसकी आत्मा है और उस अंधेरी जगह पर सामने खंजर तैरता हुआ दिखाई दे रहा था।

 

अभय उस खंजर को अपने हाथ से पकड़ने की कोशिश करता है, लेकिन वह खंजर उसके हाथ में नहीं आता और सीधा उसकी हथेली में घुस जाता है। थोड़ी देर बाद सभी चीजें सामान्य हो चुकी थीं। अभय अपने आप को उसी कमरे में पाता है, पर वह देखता है कि उसकी हथेली पर खंजर का एक निशान आ चुका था।

 

जो चांद पर लिपटे हुए एक सांप की तरह दिखाई दे रहा था। अभय यह देखकर हैरान था। वह उसे अपने हाथ से मिटाना चाहता था और मन ही मन सोच रहा था, "अगर मां को इसके बारे में पता लगा तो मुझे जिंदा नहीं छोड़ेंगी।"

 

अभी अभय को याद आता है कि वह किसी और के शरीर में है। यह सोचकर उसे थोड़ी राहत की सांस मिलती है। वह अपने बिस्तर पर जाकर लेट जाता है और यही सोच रहा था कि पता नहीं उसके शरीर के साथ वहां क्या हो रहा होगा।

अब अभय खंजर को निशान की मदद से बुलाने की कोशिश करता है, लेकिन बार-बार असफल होता है। कुछ घंटे तक इसी तरह प्रयोग करने के बाद भी वह खंजर को बुलाने में बिल्कुल भी सक्षम नहीं था। अब अभय थोड़ा-थोड़ा गुस्से में आने लगा था।

अपने गुस्से को शांत करने के लिए अभय अपने सीने पर हाथ रखता है और गहरी सांस लेता है। लेकिन तभी अभय को महसूस हुआ कि उसने कुछ गलत कर दिया है। अभय झटका खाने के लिए तैयार था, लेकिन थोड़ी देर तक कुछ नहीं हुआ। यह देखकर वह दोबारा से अपने सीने पर हाथ लगाता है।

लेकिन इस बार अभय को पहले से भी ज्यादा तेज बिजली का झटका लगता है और वह वहीं पर बेहोश होकर गिर जाता है। उसकी आंखें धीरे-धीरे बंद हो रही थीं, लेकिन उसे अब भी बिजली का झटका महसूस हो रहा था।

दूसरी ओर, रचित पागलखाने में फोन करने वाला ही था कि तभी आशा का ध्यान रचित के मोबाइल के कवर पर जाता है। यह देखकर वह पास ही रखे हुए वास की मदद से उसके मोबाइल पर मारती है और बोलती है, "शैतान तू फिर आ गया।"

वास लगने की वजह से रचित के हाथ से फोन नीचे गिर चुका था। तभी रचित देखता है कि अब है सीधा उसके मोबाइल के ऊपर कूद चुका था और उसे अपने पैरों से रौंद रहा था।

अभय के शरीर में राजकुमारी आशा बोलती है, "दुरुसट, तो फिर आ गया।" यह कहते हुए वह मोबाइल फोन को बुरी तरह से अपने पैरों की मदद से कुचल रही थी। यह देखकर रचित की किडनी में दर्द होने लगा था, क्योंकि उसका आईफोन 13 उसकी आंखों के सामने पैरों तले रौंदा जा रहा था।

रचित की आंखों में आंसू आ चुके थे और वह रोते हुए अभय को कोस रहा था और बोल रहा था, "कमीने, तुझे जो कुछ करना था, मेरे साथ करता, मेरे फोन ने तेरा क्या बिगाड़ा था?" अभय बोलता है, "तुम चिंता मत करो, मैंने शैतान को खत्म कर दिया है।"

रचित उसके मुंह से ये सब सुनकर काफी गुस्से में था, लेकिन अब वह थोड़ा घबरा चुका था और वह चुपचाप पीछे हटने लगा था, क्योंकि आज उसने जो टीशर्ट पहन रखी थी, उसके पीछे भी कुछ ऐसा ही चेहरा बना हुआ था।

रचित को समझ में आ गया था कि अगर अभय ने यह सब देखा, तो उसका भी वही हाल होगा, जैसा उसके मोबाइल का हुआ था। इसलिए वह जल्दी से उल्टे पांव वहां से बाहर निकल जाता है और बोलता है, "मैं तुमसे बाद में मिलूंगा।"

आशा रचित को इस तरह भागते हुए देखकर थोड़ी हैरान थी और बोलती है, "हमने ऐसा क्या कर दिया, जो वह इस तरह भाग रहा है?" तभी वह अपना ध्यान इन सब बातों से हटाकर दोबारा से टीवी पर लगाती है।

वह बोलती है, "उस व्यक्ति ने हमें क्या बोला था? कि यह सब एक यंत्र है? कुछ ऐसा ही कहा था शायद।" फिर वह पास ही रखे हुए रिमोट को ध्यान से देखने लगती है। तभी अचानक से वह गलती से चैनल चेंज कर देती है, जहां पर एक सास-बहू का टीवी सीरियल चल रहा था।

आशा भी इसे ध्यान से देखने लगती है। उसे टाइम का पता नहीं चला कि कब उसे सीरियल देखते हुए 3 घंटे बीत चुके थे। अचानक से बिजली जाने की वजह से टीवी बंद हो जाता है।

यह देखकर आशा को समझ में नहीं आया कि अभी क्या हुआ, लेकिन वह समझ चुकी थी कि अब टीवी और काम नहीं करेगा। इसलिए वह आसपास की चीजों को देखने लगती है।

3 घंटे बाद

राधा घर पर आती है, लेकिन वह घर की ऐसी हालत देखकर काफी हैरान थी और हैरानी से अभय की तरफ देख रही थी, जो टेबल पर पड़े हुए सेब को खा रहा था। राधा चिल्लाते हुए बोलती है, "भैया, तुमने यह क्या कर दिया है?"

आशा, छोटी लड़की को अपने सामने देखकर बोलती है, "अरे छोटी लड़की, लगता है आप घर आ गई हैं। तो क्या आप बता सकती हैं कि हमारा नाम क्या है, मतलब इस शरीर के असली मालिक का नाम क्या है? और हम किस राज्य में हैं? और यहां के राजा का क्या नाम है? हम उनसे मिलना चाहेंगे। आपको नहीं पता, लेकिन हमारी आत्मा इस शरीर के साथ बदली जा चुकी है, इसलिए हमें किसी जादूगर या आत्मा विशेषज्ञ की मदद की आवश्यकता है।"

लेकिन राधा उसके मुंह से ये सब शब्द सुनकर काफी हैरान थी और उसे पक्का यकीन हो चुका था कि अभय ने शराब पी है या उसने किसी नशे की चीज का सेवन किया है, जो ऐसी पागलों जैसी बातें कर रहा है।

तभी राधा का ध्यान जमीन पर पड़े हुए आईफोन 13 पर पड़ता है, जिसकी हालत काफी बुरी थी। वह उसे उठाती है और बोलती है, "यह तो रचित भैया का फोन लग रहा है।"

तभी पीछे से रचित कपड़े बदलकर वहां पर आ चुका था और राधा से बोलता है, "राधा जल्दी यहां पर आओ, तुम्हारा भाई पागल हो चुका है। देखो उसने मेरे फोन की क्या हालत की है।"

तभी आशा बोलती है, "कृपया हमारे सवालों का जवाब दीजिए।" तभी उसका ध्यान रचित की तरफ जाता है और वह बोलती है, "क्या आप दोबारा वापस आ चुके हैं? आप चिंता मत कीजिए, हमने शैतान की देखभाल कर ली है। अब वह आपको दोबारा कभी परेशान नहीं कर पाएगा।"

यह सुनकर रचित को काफी गुस्सा आ रहा था।

तभी आशा बोलती है, "आपको हमारा शुक्रिया अदा करने की कोई जरूरत नहीं है, यानी वीर स्थल की राजकुमारी का शुक्रिया अदा करने की कोई जरूरत नहीं। यह तो हमारा कर्तव्य था।"

दूसरी ओर, रचित के सब्र का बांध टूट रहा था। आशा बोलती है, "लगता है कि आप लोगों को अभी भी हमारी बातों पर यकीन नहीं हो रहा, इसलिए हम आपको यकीन दिलाने के लिए एक चीज कर सकते हैं।"

यह कहकर आशा दोबारा से कुछ मंत्रो का उच्चारण करती है, लेकिन इस बार आसपास का माहौल काफी ज्यादा ही दबावपूर्ण हो चुका था। तेज हवाएं चल रही थीं, अभय के बाल हवा में लहराने लगे थे। तभी अभय के पीछे एक सुंदर लड़की की परछाई दिखने लगी थी, जिसकी आंखों से नीली रोशनी निकल रही थी। वह परछाई बोलती है, "क्या आप लोगों को अब यकीन आया कि हम सच में किसी और के शरीर में आ चुके हैं?"

अपने सामने का नजारा देखकर रचित और राधा दोनों ही हैरान थे, क्योंकि उन्हें अभय के पीछे खड़ी हुई आत्मा साफ दिखाई दे रही थी और साथ ही अभय का शरीर भी हवा में उड़ रहा था। यह देखकर रचित का मुंह खुला का खुला रह गया था, जो पहले अभय की बातों पर यकीन करने को बिल्कुल तैयार नहीं था।

आशा मन ही मन सोच रही थी कि बेशक हमारे पास अपनी स्पिरिट पावर यहां पर ना हो, तो भी हमारी आत्मा अभी भी किसी आम व्यक्ति से कई गुना शक्तिशाली है।

आशा अब राहत की सांस लेती है, क्योंकि वह देख सकती थी कि अब दोनों को उसकी बातों पर थोड़ा-थोड़ा यकीन होने लगा था। और फिर कुछ देर के बाद आशा उन्हें सारा माजरा समझा देती है।

राधा और रचित भी उसे इस दुनिया के बारे में काफी कुछ बताते हैं। रचित थोड़ा जिज्ञासु होकर उससे पूछता है, "तुमने यह कहा था, कि मतलब आपने यह कहा था कि आप एक जादुई दुनिया से आए हैं, तो क्या मैं जादूगर बन सकता हूं? क्या आप मुझे जादू करना सिखा सकती हैं?"

आशा जवाब देती है, "बेशक आप सीख सकते हैं, लेकिन यहां पर कोई माना या कोई अन्य ऊर्जा शक्ति नहीं है। इस वजह से बेशक आप जादुई मंत्र को सीख लें, तो भी आप उनका इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे।

और वैसे भी हम कोई जादूगर नहीं हैं। इसलिए हम आपको जादू नहीं सिखा सकते, लेकिन हम आपको लोगों के जख्म भरने वाले मंत्र जरूर सिखा सकते हैं।"

उसके मुंह से यह बातें सुनने के बाद रचित का मूड काफी खराब हो चुका था।

दूसरी ओर, राधा उससे कई सारे गहनों और कपड़ों के बारे में बात कर रही थी, जो राजकुमारिया पहनती है। रचित दोनों लड़कियों की बातें बिल्कुल नहीं सुनना चाहता था, क्योंकि वे लोग या तो सिर्फ कपड़ों के बारे में बात कर रही थीं या फिर गहनों के बारे में।