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सीरत शर्मा

सिंघानिया ग्रुप का अपना होटल था ।जिसका बड़ा सा हाल बहुत खूबसूरती से सजा हुआ था ।आज रामजी दास सिंघानिया के दो पोतों की सगाई थी। उनके बड़े पोते अर्जुन सिंघानिया और उनके छोटे पोते निलेश सिंघानिया ।उन दोनों की सगाई उनके बचपन के दोस्त रविकांत शर्मा की दोनों पोतियों सीरत और रीना से हो रही थी ।

पूरा हॉल रोशनी से नहलाया हुआ था ।देश और विदेश से बहुत लोग आए हुए थे ।सबसे पहले स्टेज पर अर्जुन सिंघानिया ने सीरत को अंगूठी पहनाई।फिर उसके बाद निलेश और रीना की सगाई हुई।

दोनों दोस्त आज बहुत खुश थे। रामजी दास सिंघानिया और रविकांत शर्मा उन दोनों की बचपन की दोस्ती रिश्तेदारी में बदल गई थी।

रामजी दास सिंघानिया के दो बेटे और एक बेटी थी।उसके दोनों बेटे साथ में सिंघानिया मेंशन में ही रहते थे और उसकी बेटी उसी शहर दिल्ली में ही रहती थी।

उसके बड़े बेटे अनुप सिंघानिया के दो बेटे और एक बेटी थी।

दूसरे नंबर के बेटे के दो बेटे थे।

उनकी बेटी मीरा दीवान के एक बेटा और बेटी थे।

वही रविकांत शर्मा के दो बेटे थे।उनका बड़ा बेटा और बहू एक एक्सीडेंट में मारे गए थे ।जिनकी संतान सीरत उन्हीं के के पास थी । जो उन्हें जान से प्यारी थी।वह लोग चंडीगढ़ के पास मोहाली में रहते थे ।

उनका दुसरा रणवीर शर्मा दिल्ली में रहता था । उसके की एक बेटी और बेटा थे। उसकी बेटी रीना की सगाई आज निलेश सिंघानिया से हुई थी। उनका घर सिंघानिया मेंशन के साथ में ही था।

सगाई के टाइम उठाकर सीरत ने अर्जुन की तरफ नहीं देखा। क्योंकि उसे उसे बहुत डर लगता था ।वही रीना और निलेश बहुत खुश थे ।दोनों एक दूसरे की आंखों में देख रहे थे।

सगाई होने के बाद अर्जुन सभी से मिलने लगा। वहीं नीलेश और रीना साथ-साथ थे। वह स्टेज पर डांस कर रहे थे। वही अर्जुन सभी गेस्ट को अटेंड कर रहा था।

फिर उन्होंने साथ में ही खाना खाया। मगर अर्जुन गेस्ट से मिलने के बाद वहां से चला गया था क्योंकि वह जिस मीटिंग को बीच में छोड़ कर आया था ।उसे वही वापस जाकर अटेंड करनी थी।

शाम को घर आकर रीना ने सीरत से कहा ।

भाई तुम्हारी लाइफ तो ऐसे ही गुजरने वाली है ।अब अर्जुन जीजू को तो काम के सिवा कुछ नहीं दिखता ।

कम से कम उसे आज तो नहीं जाना चाहिए था।

ऐसा नहीं कहते। उसकी दादी ने उसे बीच में टोका ।

मर्दों को काम तो करने ही करते हैं।

मगर ऐसा भी क्या दादी मां की अपनी सगाई के दिन भी बंदा कम पर चला जाए। आज तो उसे सीरत के साथ टाइम बताना चाहिए था। तभी रीना के फोन पर कोई मैसेज आया। वह मैसेज खोल कर देखने लगी ।

मैं फिर बात करती हूं।

मैं कमरे में जा रही हूं। वह फोन देखी हुई अपने कमरे में चली गई ।

ठीक है दादी ।मैं भी बहुत थक चुकी हूं ।

मैं भी जा रही हूं ।सीरत अपने कमरे में चली गई

उस कमरे में जाकर अपना रूम का दरवाजा बंद कर लिया और अपनी ज्वेलरी और दुपट्टा उतार कर ड्रेसिंग टेबल पर रख दिया ।खुद बेड पर लेट गई थी ।

अब मैं किसी को क्या बताऊं । मुझे उसे आदमी से तो मुझे डर लगता है ।

अच्छा हुआ वह पहले ही चला गया ।वरना मैं क्या करती ।

जिसकी मैं चेहरे की तरफ नहीं देख सकती। उससे मेरी शादी हो रही है ।वह अपने आप में सोचने लगी।

कोई बात नहीं जब शादी होगी देखी जाएगी ।मुझे इस आदमी से के सामने ही नहीं आना है।

मैं कल मोहाली चली जाऊंगी। उसने अपने आप से कहा।

 होगा सीईओ अपनी कंपनी का । मैं क्यों डरूं उस से।

इन के घर में उसके जैसा खडुस कोई नहीं है।

मालूम नहीं यह किस पर गया है।

मैं क्या इसके खुद के दादाजी दादी जी इसकी खुद की मॉम डैड इसके छोटे बहन भाई सभी से डरते हैं ।

बेचारी प्यारी सी सीरत खुद को समझा रही थी।

वो बेड से उठी और टाबल उठा कर नहाने चली गई। थोड़ी देर बाद वह नहा कर वो टीशर्ट और लोअर पहनकर कमरे में आ गई ।सका मन हुआ कि चाय पी जाए। क्योंकि चाय में तो उसकी की जान बसती थी। वह कमरे से बाहर आई। नीचे चली गई।

वहां लॉबी में कोई नहीं था । सभी थके आए थे ।उसने किचन में जाकर खुद के लिए चाय बनाई ।फिर उसे याद आया कि इस टाइम दादाजी और दादी जी को दूध पीना होता है। उसने उनके लिए भी दो गिलास दूध गर्म किया और दादाजी और दादी जी को देने चली गई।

जाओ बेटा तुम रेस्ट करो। दादाजी ने उससे कहा।

जी ठीक है ।फिर वह अपना चाय का कप लेकर अपने कमरे में आ गई ।उसका मन किया के बाहर बैठा जाए क्योंकि वह टाइम नवंबर का महीना था। तो गुलाबी ठंड की शुरुआत हो चुकी थी। उसने अपना चाय का कप लिया और बाहर टेरिस पर चली गई ।टेरिस पर बैठकर चाय पीने लगी ।

इस बात से अनजान की अर्जुन भी अपनी टेरिस पर किसी से फोन पर बात कर रहा था। चाय पीकर वह वही चेयर पर बैठकर और अपनी आंखें बंद कर ली ।

मुझे उसे खड़ूस आदमी को याद नहीं करना भूल जाना है। उसने अपने आप से कहा।

सीरत जिसका दूध से भी गोरा रंग था। हेजल आईज जिसमें कोई डूबने को बेकरार था❤️। हेजल आईज के साथ उसके बाल भी ब्राउन थे । जो ना ज्यादा लंबे थे नहीं ज्यादा छोटे ।गुलाबी होंठ और ऊपर वाले होंठ को छुता हुआ तिल❤️। उस तिल के ऊपर कोई मरता था ।वह कौन था इसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था ।वह होठों के ऊपर काला तिल ,किसी की कमजोरी था।

तीखी नाक जिसमें उसने डायमंड का छोटा सा नोज पिन डाला हुआ था। कोई उस पर जान देता था।मगर कौन यह हम आपको बताएंगे मगर धीरे-धीरे ।

जितनी हमारी सीरत खूबसूरत थी उतना ही उसका खूबसूरत दिल था। चुलबुलापन तो जैसे उसमें कूट-कूट कर भर था। अपने चुलबुले पन की वजह से ही जब भी वह मोहाली से दिल्ली आती । ऐसा कभी कोई दिना नहीं गया था कि अर्जुन ने उसे डांटा न हो ।

गुस्सा उसे आता नहीं था ।मॉम डैड उसके उसके नहीं थे।

मगर उसकी दादी उसके लिए मां थी तो उसके दादाजी उसके लिए उसके पिता ।उसके चाचा जी और चाचा जी अपने बच्चों के साथ दिल्ली में रहते थे ।मगर वह अपने दादाजी जी के साथ मोहाली में ही रहती थी और वहीं पर ही बड़ी हुई थी।उन्होंने उसे पूरी आजादी दी थी। वह एक प्यार करने वाले खुलकर जीने वाली लड़की थी। जिसे मिला था खडुस अर्जुन सिंघानिया।