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अर्जुन सिंघानिया

सीरत टेरेस पर बैठकर चाय पी रही थी ।इस बात से अनजान कि अर्जुन भी अपनी टैरिस पर खड़ा किसी से फोन बात कर रहा था।

सीरत ने अपना चाय का कप वही रखा और अपनी आंखें बंद करके बैठ गई । तभी उसके चाचा का बेटा रौनी भागता हुआ आया ।

दीदी बहुत मुश्किल से लेकर आया हूं ।आज तो मैं पकड़ा ही गया था। उसने सांस लेते हुए कहा।।।

मैं भी तुम्हारी ही वेट कर रही थी। रौनी के बोलने से अर्जुन जो पास वाली टेरेस पर खड़ा था उसका ध्यान सीरत है और रौनी की तरफ गया।

रौनी के हाथ में कुछ था उसने सीरत के हाथ पैर रख दिया। वह सिगरेट की डब्बी थी।

सीरत ने सिगरेट की डब्बी खोली।

यह क्या इसमें तो एक ही है। सीरत ने कहा।

तो और क्या आपको पूरी डिब्बी चाहिए थी। पता है कितनी मुश्किल से लेकर आया हूं।

अपनी जान हथेली पर रखकर ।

ज्यादा नौटंकी करने की जरूरत नहीं है। बड़ी बहन के लिए इतना तो कर ही सकते हो।

एक तो मैं आपके लिए सिगरेट लेकर आया और दूसरे आप मुझे नौटंकी बाज कह रही हैं ।वो गुस्सा दिखाने लगा।

ठीक है ठीक है तू तो मेरा सबसे प्यारा छोटा भाई है। बड़ी बहन का कौन गुस्सा करता है।सीरत उसे मनाने लगी।

ठीक है अब जल्दी करो। इससे पहले के मम्मी मुझे ढूंढते हुए जहां आ जाए ।

सब थके हुए हैं आज कोई नहीं आएगा।

सही बात है। रीना दीदी तो फोन पर लगी हुई है शायद नितेश जीजु का फोन आ रहा है।रौनी ने कहा।

तभी सीरत ने सिगरेट सुलगाई और बड़ा सा कश लिया। फिर धुआं हवा में उड़ाती हुई बोली ।

मैंने अपने सारे ग़म में उड़ा दिए।

ऐसी कौन से गम है जिनके लिए यह धुआं उड़ाना पड़ रहा है ।अर्जुन जो चलता हुआ वह अपने टेरिस के ऐंड तक आ गया था। जहां उसके बाद सीरत के घर के घर की टैरिस शुरू होने वाली थी। वह वहां खड़ा हुआ था।

वो सीरत को सिगरेट पीते हुए देख रहा था। अर्जुन के बोलने से सीरत ने अपना चेहरा घूमा कर उसकी तरफ देखा। उसकी तो जान ही निकल गई🤪। क्योंकि सामने अर्जुन था।

उसने फिर कहा क्या मैं पूछ सकता हूं ऐसे कौन से गम है जिन्हें तुम धुएं में उड़ा रही हो ।और रौनी तुम ।

इस से पहले वो आगे बोलता।दोनों भाई बहन सिगरेट वहीं पर फेंक सिगरेट जल्दी से सीढ़ियां की तरफ भागे।

दीदी आज तो हम लोग गए ।अगर उसने पापा को बता दिया तो क्या होगा । रौनी ने कहा।

तुम यह सोचो कि मेरा क्या होगा। सीरत ने उससे कहा।

दोनों भाई बहन कमरे में चले गए थे और उन्होंने कमरा बंद कर दिया।

दीदी आपको कोई और नहीं मिला था सगाई करने के लिए ।

आपको इसी के साथ सगाई करनी थी ।

मैंने थोड़ी कहा था कि उसके साथ सगाई करें।

वह तो दादा-दादी ने कर दी ।

तो आपको मना कर देना चाहिए था।

अब मुझे क्या पता था कि मेरी सगाई 🤪 उस से होगी।

दादा जी ने मुझसे पूछा था कि सीरत तुम्हें कोई लड़का पसंद है।

मैंने कहा नहीं ।तो उन्होंने ने कहा।हम अपनी मर्जी से तुम्हारे लड़का ढूंढे ।

मैंने बिना जाने कि वो लड़का अर्जन है शादी के लिए हां कर दी।

मैंने उनसे कहा मुझे आपका हर फैसला मंजूर है।

मुझे बाद में पता चला कि वो लड़का जिससे मेरी शादी तह हुई है वह लड़का अर्जन है।

अर्जुन सिंघानिया रामजी दास सिंघानिया के बड़े बेटे अनूप सिंघानिया का बड़ा बेटा है ।जिसकी उम्र लगभग 30 साल थी ।वैसे तो वह बचपन से ही कम बोलना उसका स्वभाव था ।

जब उसने अपनी MBA खत्म की और बिजनेस को ज्वाइन किया। उस वक्त सिंघानिया ग्रुप का बिजनेस बहुत नुकसान में जा रहा था। उनके होटल भी बंद होने शुरू हो चुके थे और उनकी फैक्टरीज पर भी ताला लगने लगा था। जो कंपनी के हिस्सेदार थे वह अपना हिस्सा निकलने लगे थे। ऐसे वक्त पर अर्जुन ने सिंघानिया ग्रुप ज्वाइन किया और थोड़े ही सालों में उसने सिंघानिया ग्रुप को वापस खड़ा किया। आज वो सिंघानिया ग्रुप का सीईओ था ।

बोलता तो वैसे भी वह पहले ही कम था ।अब तो उसने जरूर के बिना बोलना ही बंद कर दिया था । पूरे ऑफिस के लोग उससे डरते थे। घर के सारे छोटे बड़े भी उससे डरने लगे थे। सारे उसके सारे छोटे भाई बहन उसके आगे नहीं बोलते थे ।क्योंकि वह हमेशा सही बात करता था। उन्हें किसी की गलती पसंद नहीं थी और साथ में रविकांत शर्मा उनके दादाजी के दोस्त थे। तो इन दोनों परिवारों का शुरू से ही बहुत अटैचमेंट थी ।

रविकांत जी और राम जी दास जी ने दोनों बंगले एक साथ बनवाए थे। दिल्ली की सबसे महंगी कॉलोनी में उनके घर थे ।अपने बड़े बेटे की मौत के बाद रविकांत जी वापस मोहाली चले गए थे ।मगर उनका छोटा बेटा और उनका परिवार यही पर रहता था। अर्जुन से रविकांत शर्मा के परिवार के बच्चे भी डरते थे और जिनमें से सीरत एक थी क्योंकि सबसे ज्यादा शरारतों में माहिर तो वही थी।

अर्जुन का एक ही दोस्त था। वो था रहमान। वो लोग स्कूल से लेकर अपनी MBA की स्टडी तक साथ थे।उसके बाद रहमान मलिक ने अपना बिजनेस जॉइन किया था और अर्जुन ने अपना। रहमान के कंधों पर उतनी जिम्मेवारियां नहीं थी। अर्जुन के बहुत से राज थे जो सिर्फ रहमान मलिक जानता था ।अर्जुन को टीनएज से ही एक लड़की पसंद थी ।वह कौन थी उसके बारे में रहमान को छोड़कर कोई नहीं जानता था।

सीरत अब 22 साल की हो चुकी थी। उसके दादाजी और दादी जी चाहते थे कि वह उसकी शादी कर दे। वैसे भी उनकी उम्र हो चली थी और उनकी सेहत भी ठीक नहीं रहती थी।

सर के दादाजी और दादी की सीरत के पास आए।

बेटा हमें तुमसे एक बात करनी थी ।उसके दादाजी ने कहा ।

क्या बात है ।

हम तुम्हारी शादी करना चाहते हैं ।अगर तुम्हें कोई पसंद है तो तुम हमें बता सकती हो।

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