अब तक
प्रीती एक बार फिर उठने की कोशिश करने लगती है, वो अभी उठ ही रही थी की इतने मैं ही राहुल उसे एक जोरदार धक्का देता है जिससे प्रीती ,राहुल के साइड मैं गिर जाती है, और राहुल अपनी जगहा पर खडे होकर, प्रीती के हाथों को पकडता है और उसे उसकी जगह से खड़े कर घसिटते हुए पास के ही एक कमरे के अंदर ले जाता है , कमरे के अंदर आते ही कमरे का दरवाजा बंद कर प्रीती को दरवाजे के अगेंस्ट पूश कर राहुल , प्रीती के हाथों को मोड़ उसकी पीठ से सटा कर , चिल्लाते हुए कहता है ।
अब आगे
राहुल गुस्से से- कितनी बार कहा है , मैने तुमसे की मुझसे दूर रहा करों, पर नही तुम अपनी हरकतों से कभी बाज नहीं आओगी ना , तुम मुझसे जान बूझ कर टकराई ना ताकी तुम मेरे पास आ सको , पता नही तुम जैसी बदसूरत लडकी मैं मेरे मॉम - डैड ने ऐसा क्या देखा की उन्होने मुझे तुम्हारे साथ बान्ध दिया, जबकी उन्हें पता था की मैं नितारा ( राहुल की गर्लफ्रेंड ) से प्यार करता हूं, जरुर तुमने ही उन्हें नितारा के खिलाफ भड़काया होगा, सच मैं मानना पडेगा तुम्हें, तुम मेरी सोच से भी ज्यादा चालाक हो, तुम्हारे रंग के साथ - साथ तुम्हारा दिल भी काला है । पर कोई बात नही मैं जल्द ही तुम्हहें अपनी जिन्दगी से निकाल फेखून्गा और नितारा को वापस अपनी जिन्दगी मैं शामिल करूँगा , क्यौंकि तुम्हारी औकात नही है राहुल वाध्वा के साथ खड़े होने की, इतना कह राहुल प्रीती के हाथों को झटकते हुए उसे छोड देता है,
वहीं राहुल की बातों से प्रीती काफी ज्यादा हर्ट हो चुकी थी , उसकी आँखों के कोनों से आंसू बहने लगे थें, वो राहुल की तरफ पलट अपनी पलके झुका रोते हुए कहती है ।
प्रीती - मैं,,, मैने कुछ भी जान - बूझ कर नहीं किया , मैं तो बस कनक से बचा,,,
अभी प्रीती कह ही रही थी की अचानक उसे राहुल की गर्म सांसे काफी करीब से मेहसूस होने लगती है, जब वो अपनी नजरे ऊठा कर राहुल की तरफ देखती है, तो वो मेहसूस करती है की राहुल उसके काफी करीब खड़ा था, और वो एक टक कहिं देख रहा था, जब प्रीती उसकी नजरों का पीछा करती है तो उसकी आंसुओं से भरी आंखें बडी - बडी हो जाती है, जब उसे पता चलता है की राहुल उसके सिने की तरफ देख रहा था ।
प्रीती ने इस समय सूट पहना हुआ था , जिसमें दुपट्टा भी था, उसने दुपट्टे को अपने गले के दोनों तरफ से लिया हुआ था जो राहुल की खिंचा - तानी मैं उसके सिने से थोड़ा निचे की तरफ खिसक गया था, जिस वजह से उसके क्लिवेज हल्के हल्के शो हो रहे थें जिन्हें ,राहुल घूर रहा था ।
प्रीती जल्दी से अपने सीने को कवर करती है और राहुल को खूद से दूर करते हुए जल्दबाजी मैं वोश्रूम के अंदर चली जाती है । और गेट बंद करके उसी गेट से लगे गहरी - गहरी सांसें लेने लगती है । इस समय उसके गाल टमाटर की तरह लाल हो चुके थें, उसे खूद पर शर्म आ रही थी , राहुल के आँखों की तपिश प्रीती अभी भी अपने शरीर पर मेहसूस कर सकती थी । वो इतनी लापरवाह कैसे हो सकती है की उसे अपने दुपट्टे का भी होश ना रह सका ।
वहीं राहुल जो प्रीती के अचानक धक्का देने से होश मैं आया था, दरवाजा बंद होने की अवाज से वोश्रूम की तरफ देखता है, कुछ पल उस गेट को घूरने के बाद राहुल उस रुम से बाहर चला जाता है ।
कनक जिसकी साडी थोड़ी बिगड गई थी, वो अपनी साडी ठीक करने के बाद जैसे ही सामने देखती है तो उसे प्रीती कहिं भी नज़र नहीं आती है, प्रीती के ना मिलने पर कनक निचे हॉल की तरफ चली जाती है ।
हॉल मैं,,,
कनक जब निचे आती है तो उसकी नज़र किचन की तरफ जाती है जहाँ पर राधिका जी और वानी जी किचन मैं दोपहर के खाने की तैयारी कर रही थी, कनक भी उनकी मदद करने के लिये किचन की तरफ चली जाती है ।
कनक - माँ ( राधिका जी ) ,छोटी माँ ( वानी जी ) आप क्या कर रही हैं दिजीये मैं कर देती हूं
कनक को आया देख राधिका जी जो सब्जियों को कट कर रही थी वो उससे कहती हैं ।
राधिका जी - कनक आप यहाँ क्या कर रही है, मैने आपसे आराम करने के लिये कहा था ना, सुबह आपने कितना सारा नाश्ता अकेले बनाया था, आप थक गई होंगी ना । जाइये जा कर आराम करिये,
वानी जी , राधिका जी की बात मैं हामी भरते हुए,
वानी जी - हाँ कनक दीदी सहिं कह रही हैं, तुम जाओं बेटा जा कर आराम करों, ( फिर एक शरारती मुस्कुराहट के साथ ) वैसे भी कल रात के बाद से तुम बहुत थकी - थकी सी लग रही हो,
वानी जी कि बात पर राधिका जी भी कनक को मुस्कुरा कर देखने लगती है।
कनक को पहले तो कुछ समझ नहीं आता है ,लेकिन जब वो राधिका जी और वानी जी को मुस्कुराते हुए देखती है तो वो समझ जाती है की उनके कहने का क्या मतलब था ,जिस्से कनक झेप जाती है, और बात बदलते हुए कहती है,
कनक - माँ मैं आटा गूँथ देती हूं, इतना केह कर कनक एक कंटेनर से आटा निकाल कर गूँथने लगती है,
वहीं कनक को ऐसे बात बदलते देख राधिका जी और वानी जी एक और बार खूद को मुस्कुराने से रोक नहीं पाती हैं और मुस्कुरा उठती हैं, वो दोनों अब कनक को काम करने के लिये नहीं रोकती है क्यौंकि वे दोनों जानती थी की चाहे वे कनक को कितना ही मना क्यों ना कर ले ,वो करेगी वही जो वो करना चाहती है ।
1 घंटे के अंदर सारा खाना बन कर तैयार हो जाता है, खाने मैं पालक पनीर , मटर राइस, रोटियां, राएता, मिक्स वेज, और डिसर्ट मैं गुलाब जामून बने थें, साथ मैं सैलिड़ भी थें ।
खाने के बनते ही राधिका जी एक टिफिन मैं खाना पेक करते हुए कनक से कहती है ।
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